राजस्थान के दो इंजीनियरिंग कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में होगी पढ़ाई
- राजस्थान सहित 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई होगी. इसके लिए एआईसीटीई से बीटेक में 1 हजार से अधिक छात्रों को सामूहिक रूप से प्रवेश देने की अनुमति प्राप्त कर ली गई है.इसमें से राजस्थान से 2 उत्तर प्रदेश से 4, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड से 1-1 और आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से शेष कॉलेजों को शामिल किया गया है.
जयपुर. राजस्थान के 2 इंजीनियरिंग कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होगी. दरअसल, देश में 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से स्नातक कार्यक्रमों में 1 हज़ार से अधिक छात्रों को सामूहिक रूप से प्रवेश देने की अनुमति प्राप्त कर ली गई है जिन्हें नए शैक्षणिक वर्ष से क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाएगा.
जानकारी के अनुसार इसमें राजस्थान से 2, उत्तर प्रदेश से 4, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से 1-1 कॉलेज को शामिल किया गया है जिसमें हिंदी में पढ़ाई होगी. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के शेष कॉलेजों में तेलुगु, मराठी, बंगाली और तमिल भाषा में छात्रों को पढ़ाया जाएगा. गौरतलब है कि यह पहला वर्ष है जब एआईसीटीई ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रावधानों के तहत अपनी मातृभाषा में शिक्षा की मांग की है. इसमें इंजीनियरिंग कॉलेजों को 11 क्षेत्रीय भाषाओं में बी.टेक कार्यक्रमों की पेशकश करने की अनुमति दी है. इनमें मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमिया, पंजाबी और उड़िया शामिल है.
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आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 2021-22 के शैक्षणिक वर्ष से क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की घोषणा की थी. मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया था कि आईआईटी और एनआईटी जैसे कुछ शीर्ष इंजीनियरिंग स्कूल इसे लागू करने वाले में शामिल हो सकते हैं. एआईसीटीई ने एक सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर मान्यता प्राप्त कॉलेजों को स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करने का विकल्प देने का फैसला किया है. पिछले सप्ताह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 केंद्रीय वित्तपोषित तकनीकी संस्थानों को अपने संबोधन में इस एनईपी प्रस्ताव को अपनाने पर जोर दिया था. अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा का एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और वैश्विक पत्रिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की आवश्यकता पर बल दिया.
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एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पढ़ाने की अनुमति केवल नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (एनबीए) से मान्यता प्राप्त कार्यक्रमों को दी गई है. प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए स्वयं व्याख्यान का अनुवाद पूरा हो गया है और अब हम शिक्षकों को मौजूदा पाठ्यपुस्तकों का अनुवाद करने और क्षेत्रीय भाषाओं में लिखने के लिए भी बुला रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हम बाजार की जरूरतों के बारे में जानते हैं, यही वजह है कि क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यक्रमों में अंग्रेजी का अध्ययन एक भाषा के रूप में किया जाएगा. हमारे सभी अनुवादित कार्यों में हमने यह सुनिश्चित किया है कि वैज्ञानिक अवधारणाओं के अंग्रेजी नामों को बरकरार रखा जाए.
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