वसुंधरा विरोधी घनश्याम तिवाड़ी की सतीश पूनिया ने बीजेपी में कराई घर वापसी

Smart News Team, Last updated: Sat, 12th Dec 2020, 2:29 PM IST
  • घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाते हैं. वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में उन्हें उपेक्षा का शिकार होना पड़ा. इसी कारण तिवाड़ी भाजपा से अलग हो गए. जब सतीश पूनिया प्रदेश अध्यक्ष बने तो लगने लगा था कि घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी होगी.
घनश्याम तिवाड़ी

जयपुर. भाजपा में फिर घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी हो चुकी है. दरअसल, घनश्याम तिवाड़ी राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाते हैं. पिछली भाजपा सरकार के दौरान तिवाड़ी को वो मान-सम्मान नहीं मिला जो भैरों सिंह शेखावत या अन्य सरकारों के समय में मिला. साथ ही संगठन में भी घनश्याम तिवाड़ी को विशेष स्थान नहीं मिला. यूं भी कहा का सकता है कि वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में उन्हें उपेक्षा का शिकार होना पड़ा. इसी कारण वे पार्टी से दूर होने लगे. सरकार के साथ ही पार्टी के कार्यक्रमों से भी उन्होंने दूरी बना ली. बाद में ये दूरी इतनी बढ़ गई कि तिवाड़ी भाजपा से ही अलग हो गए. 

बता दें कि जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया बने तो उसके बाद से ही लगने लगा था कि घनश्याम तिवाड़ी की घर वापसी होगी. राजस्थान की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया दोनों विरोधी खेमे के माने जाते हैं. ऐसे में घनश्याम तिवाड़ी भी वसुंधरा के धुर विरोधी हैं. इसलिए जब तिवाड़ी ने भारतीय जनता पार्टी में वापसी को लेकर सतीश पूनिया को पत्र लिखा तो उन्होंने भाजपा आलाकमान से बात की और राष्ट्रीय नेतृत्व से राय करने के बाद उन्हें पार्टी में वापस लाया गया. बता दें कि घनश्याम तिवाड़ी की वापसी के राजनीतिक मायने भी लगाए जा रहे हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि तिवाड़ी की घर वापसी से सतीश पूनिया को मजबूती मिलेगी. 

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तिवाड़ी राजस्थान में भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं. पार्टी में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया है. वह 6 बार चुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य रहे हैं. तिवाड़ी 1980 में पहली बार सीकर से विधायक बने. इसके बाद 1985 से 1989 तक सीकर से विधायक रहे. साल 1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र चौमूं से विधायक बने. जुलाई 1998 से नवंबर 1998 तक भैरोंसिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं. दिसंबर 2003 से 2007 तक वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली.

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