जयपुर : आधार से लिंक होगा निजी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों का डाटा

Smart News Team, Last updated: Wed, 13th Jan 2021, 3:09 PM IST
  • राजस्थान सरकार शिक्षकों के फर्जीवाड़े को रोकने की तैयारी कर रही है. अब निजी विश्वविद्यालय और निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों का डाटा आधार से लिंक किया जाएगा. इसके बाद कोई भी शिक्षक एक से अधिक महाविद्यालय में नौकरी नहीं कर पाएगा. करीब 10 फीसदी शिक्षकों का नाम दो से तीन महाविद्यालयों में है.
सांकेतिक फोटो

जयपुर. राजस्थान के निजी विश्वविद्यालय और निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों का डाटा अब आधार कार्ड से लिंक होगा. सरकार ने निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों का आधार कार्ड नंबर मांगा है. माना जा रहा है कई बार शिक्षकों के फर्जीवाड़े की बात सामने आती है, जिसे रोकने के लिए यह तैयारी की गई है. ऐसे में अब निजी विश्वविद्यालय और निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों का डाटा सरकार आधार से लिंक करेगी. इसके बाद कोई भी शिक्षक एक से अधिक महाविद्यालय में नौकरी नहीं कर पाएगा.

वर्तमान में प्रदेश में कार्यरत करीब 10 फीसदी शिक्षकों का नाम दो से तीन महाविद्यालय की फाइलों में है. शिक्षक एक ही जगह पढ़ाता है, लेकिन अन्य संस्थान उसके नाम व दस्तावेजों का उपयोग कर फर्जीवाड़े से मान्यता प्राप्त कर लेते हैं. इससे शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित होती है. इस बारे में जानकारी मिलने पर अब सभी शिक्षकों का ब्योरा आधार नंबर के साथ रखा जाएगा. इससे आने वाले समय में कुछ महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के ताला लगने का खतरा भी मंडरा रहा है. केंद्र व राज्य स्तर पर संचालित हो रहे सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के कई पद खाली मिलते हैं, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की कोई कमी नहीं रहती है. ये दस्तावेजों द्वारा कागजों में शिक्षकों को बताते हैं. इससे कई छात्र-छात्राएं धोखे में आकर वहां पर प्रवेश ले लेते हैं और पढ़ाई नहीं होने पर पछताते रहते हैं. शिक्षकों के आधार नंबर होने पर कंप्यूटर में संबंधित शिक्षक का आधार नंबर डालते ही पता चलेगा कि वह कितने संस्थानों में कार्यरत है. इसके बाद उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा.

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गाइडलाइंस के अनुसार फैकेल्टी, स्टाफ व संसाधन मिलने पर ही विश्वविद्यालय या कॉलेज को मान्यता दी जाती है. मान्यता लेने के लिए कॉलेज फर्जी रजिस्टर बनाकर उसमें फैकल्टी के नाम लिखते हैं. यूजीसी को कागजों में इन रजिस्टर को ही दिखाया जाता है. इस तरह विश्वविद्यालय और कॉलेज मान्यता लेने में सफल हो जाते हैं.

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