श्रीकृष्ण के मुकुट की तरह दिखने वाला हवा महल वैज्ञानिकों के लिए आज भी है रहस्य

Smart News Team, Last updated: Wed, 30th Jun 2021, 8:28 AM IST
  • हवा महल को लेकर कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसका निर्माण शाही महिलाओं के लिए करवाया गया था. साथ ही इस महल में इतनी खिड़कियां इसलिए बनवाई गईं, जिससे महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के शहर के नजारें देख सकें.
भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हवा महल. (Image Credit : HT File Image)

भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हवा महल राजस्थान की पिंक सिटी यानी जयपुर में मौजूद है. शहर के बीचों-बीच मौजूद हवा महल आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है. 'हवामहल' को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया था. इस महल को इस ढंग से बनाया गया कि यह पूरी तरह से ठंडा रहता है. महल में 953 छोटी खिड़कियां है, जहां से ठंडी और ताजी हवा आती रहती है.

इस पांच मंजिला इमारत की ऊंचाई 15 मीटर है. पिरामिड की तरह दिखने वाला यह महल मुगल और राजपूत वास्तुकला के मिश्रण का एक उत्कृष्ट नमूना पेश करता है. इसके निर्माण में लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. हवा महल की खासियत यह है कि इसकी बनावट भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट के समान है. मान्यताओं के अनुसार हवा महल को बनाने वाले राजा सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे, उन्होंने इस हवा महल को भगवान श्री कृष्ण के ताज जैसा ही बनवाया.

हवा महल को लेकर कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसका निर्माण शाही महिलाओं के लिए करवाया गया था. (Image Credit : HT File Image)

हवा महल को लेकर कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इसका निर्माण शाही महिलाओं के लिए करवाया गया था. साथ ही इस महल में इतनी खिड़कियां इसलिए बनवाई गईं, जिससे महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के शहर के नजारें देख सकें.

हवा महल की पांचवी मंजिल में जाने के लिए नहीं है कोई सीढ़ी: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस पांच मंजिला इमारत को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें ऊपर की मंजिल में जाने के लिए एक भी सीढ़ियां नहीं है. ऐसे में ऊपर की मंजिल में जाने के लिए आपको रैंप का सहारा लेना पड़ता है.

मान्यताओं के अनुसार हवा महल को बनाने वाले राजा सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे. (Image Credit : Rajasthan Tourism official website)

हवा महल को वास्तुकार लाल चंद उस्ताद ने डिजाइन किया था. हवामहल में पांच मंजिल होने के कारण यह 87 डिग्री कोण में बना हुआ है. साथ ही यह दुनिया की सबसे बड़ी बिना नीव की इमारत मानी जाती है, जो कि एक आश्चर्य का विषय है.

हवा महल की पांचवी मंजिल में जाने के लिए नहीं है कोई सीढ़ी. (Image Credit : HT File Image)

दिल्ली से जयपुर की दुरी: दिल्ली से जयपुर की दूरी करीब 294 किलोमीटर है. आप बस, ट्रेन या फिर फ्लाइट से जयपुर तक का सफर तय कर सकते हैं. बस के रास्ते दिल्ली से जयपुर पहुंचने में केवल 4 घंटे 53 मिनट का समय लगता है. वहीं अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो इसमें केवल 5 घंटे 15 मिनट का समय लगेगा. फ्लाइट से केवल डेढ़ घंटे में आप दिल्ली से जयपुर पहुंच सकते हैं.

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