जयपुर: नौ हजार मीटर के कपड़ों की एक साल में पोशाक पहन लेते हैं गणपति बप्पा
- जयपुर के मोतीडूंगरी गणेश जी एक वर्ष में 300 नई पोशाक है पहन लेते हैं. जो करीब नौ मीटर के कपड़े की बनी हुई होती है. यह गणेश जी की पोशाक करीब 20 हजार रुपये में तैयार होती है.

जयपुर| मोती डूंगरी गणेश जी के वार्डरोब में गणपति बप्पा एक साल में 300 से अधिक पोशाक बदल लेते हैं. यह पोशाक करीब 30 मीटर कपड़े की बनती है जिसकी कीमत लगभग 20 हजार रुपये आंकी गई है. यह पोशाक भक्तों द्वारा मोती डूंगरी गणेश जी को भेंट की जाती है. इसके उपरांत पोशाक को वापस अलग-अलग तरीकों से भक्तों को ही लौटा दिया जाता है. यहां की मान्यता है कि जिनके बच्चे नहीं होते हैं और बच्चे बीमार रहते हैं वह लोग गणेश जी के दुपट्टे व पोशाक के कपड़े उन्हें पहनाते हैं.
गणेश जी के अलावा मंदिर में विराजमान उनकी पत्नी रिद्धि सिद्धि व पुत्र शुभ लाभ को भी रोजाना नई पोशाक धारण कराई जाती है. मोती डूंगरी गणेश जी के समक्ष प्रतिदिन राज भोग लगाया जाता है. जिसमें विभिन्न प्रकार के पकवान होते हैं. भक्तों की ओर से साल में औसत 500 राजभोग भगवान को अर्पित किए जाते हैं. भोग अर्पित करने वाले परिवारों को भी पोशाक उपहार स्वरूप प्रसाद के रूप में भेंट की जाती है.
इसके अलावा सिंजारा में एक बार में 80 हजार से एक लाख तक मेहंदी के दोने लगते हैं जो भक्तों या जिनकी शादी नहीं होती है उन्हें भेंट कर दिए जाते हैं.
मोती डूंगरी गणेश जी के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि जयपुर शहर की स्थापना के 34 साल बाद 1761 में मोती डूंगरी गणेश जी की स्थापना की गई थी. यह प्रतिमा महाराज माधो सिंह मेवाड़ के मावली से लेकर आए थे. इस विशालकाय प्रतिमा को बैलों के सरगढ़ से मेवाड़ से जयपुर लाया गया. पहले इसे परकोटे में विराजमान किया जाना था लेकिन विश्राम के लिए गाड़ियों का काफिला मोती डूंगरी जो वर्तमान में शेरगढ़ है में आकर रुक गया. रात्रि को कुछ ऐसी घटना हुई कि गणेश जी को वहीं पर विराजमान कर दिया गया.
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