5 वेधशालाओं में से एक जयपुर का जंतर मंतर UNESCO की वैश्विक धरोहरों में शामिल है
- यपुर का जंतर-मंतर, जो कि यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में भी शामिल किया गया है. हवा महल के पास स्थित जंतर मंतर जयपुर के खास पर्यटन स्थलों में से एक है. साथ ही बताया जाता है कि यहां हर साल करीब सात लाख विदेशी पर्यटक आते हैं.
जयपुर शहर अपनी संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ अपनी इमारतों के लिए भी खूब जाना जाता है. यहां की इमारतों को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. खास बात तो यह है कि जयपुर की हर इमारत से कुछ न कुछ खास बातें जरूर जुड़ी होती हैं. इन्हीं आकर्षक इमारतों में से एक है जयपुर का जंतर-मंतर, जो कि यूनेस्को की वैश्विक धरोहरों में भी शामिल किया गया है. हवा महल के पास स्थित जंतर मंतर जयपुर के खास पर्यटन स्थलों में से एक है. साथ ही बताया जाता है कि यहां हर साल करीब सात लाख विदेशी पर्यटक आते हैं.
जयपुर का जंतर मंतर राजा सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित कराये गए 5 वेधशालाओं में से एक है. जहां एक वेधशाला जयपुर में है तो वहीं बाकी चार वेधशालाएं दिल्ली, वाराणसी, उज्जैन और मथुरा में स्थित हैं. पहली वेधशाला जहां 1724 में बनकर तैयार हुई तो वहीं इसके 10 वर्ष बाद जयपुर में जंतर-मंतर का निर्माण कार्य पूरा हुआ. इसके 15 वर्षों बाद मथुरा, उज्जैन और बनारस में भी वेधशालाएं बनाई गईं, जो आज भी गुजरे जमाने के असीम ज्योतिष ज्ञान की गवाती देती हैं. कहा जाता है कि देश की पांचों वेधशालाओं में से जयपुर की वेधशाला सबसे बड़ी है.
राजा सवाई जयसिंह द्वारा बनवाए गए इस जंतर मंतर में सम्राट, जयप्रकाश और राम यंत्र भी शामिल हैं. चूने और पत्थर से निर्मित यह यंत्र आज भी जस के तस हैं. खास बात तो यह है कि इन यंत्रों के माध्यम से ज्योतिष आज भी वर्षा और मौसम का अनुमान लगाते हैं. जंतर मंतर में मौजूद सम्राट यंत्र करीब 144 फीट हूंचा है और इसकी चोटी आकाशीय ध्रुव को इंगित करती है. इसकी दीवार पर आज भी समय बताने के निशान हैं जो आज भी सटीक हैं. इसके साथ ही इसकी दीवारों पर घंटे, मिनट और चौथाई मिनट को आसानी से पढ़ा जा सकता है.
जयपुर के जंतर मंतर में मौजूद ध्रुवदर्शक पट्टिका यहां का सबसे सरल यंत्र माना जाता है. कहा जाता है कि इस यंत्र के जरिए ध्रुव तारे की स्थिति की जानकारी मिलती है. रात के समय में नीचे के तल से आंख लगाकर यंत्र की ऊपरी सतर की सीध में देखने से ध्रुव तारा आसानी से देखा जा सकता है. इसे प्राचीनकाल में दिशा सूचक यंत्र के रूप में भी जाना जाता था. वहीं दूसरी ओर जंतर-मंतर में मौजूद प्रकाश यंत्र अपने आप में ही एक पहेली लिया हुआ है. इस यंत्र का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है. इसमें बनी हर एक पट्टी एक घंटे को दर्शाती है.
इसके अलावा सभी यंत्रों में से सबसे आकर्षक यंत्र राम यंत्र माना जाता है, जिसका प्रयोग स्थानीय निर्देशांकों को मापने के लिए किया जाता है. इसके अलावा यहां राशि यंत्र, षष्ठांश यंत्र और चक्र यंत्र जैसे कई यंत्र मौजूद हैं.
कैसे और कब करें एंट्री: जहां भारतीयों के लिए जंतर-मंतर की टिकट 50 रुपये है तो वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए यह टिकट 200 रुपये की है. सूर्योदय और सूर्यास्त तक जंतर-मंतर खुला रहता है. लेकिन इस जगह के बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए एक गाइड का साथ रहना भी काफी मददगार साबित होता है.
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