Ekadashi 2022: विजया एकादशी पर करें श्री हरि विष्णु की पूजा हर क्षेत्र में होगा विजय

Pallawi Kumari, Last updated: Fri, 25th Feb 2022, 4:52 PM IST
  • सभी एकादशी व्रतों में विजया एकादशी के व्रत का खास महत्व होता है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के समय कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को इस व्रत के बारे में बताया था जिसके बाद पांडवों ने कौरवों से युद्ध में विजय प्राप्त की थी.
विजया एकादशी (फोटो-लाइव हिन्दुस्तान)

फाल्गुन माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. विजया एकादशी का व्रत संकट को हरने वाला और मोक्ष की प्राप्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है. वैसे तो हर महीने 2 बार एकादशी व्रत रखा जाता है और हर एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. विजया एकादशी की बात करें तो सभी एकादशी की तरह इसमें में भी श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है. आइये जानते हैं विजया एकदाशी से जुड़ी पौराणिक कथा.

कहा जाता है कि द्वापरयुग में जब युद्धिष्ठिर के पूछे जाने पर श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें विजया एकादशी व्रत के बारे में बताया था. इस व्रत के बारे में भगवान ब्रह्मा ने सबसे पहले नारद को बताया था. फिर त्रेतायुग में श्रीराम ने इस व्रत को रखा.

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विजया एकादशी की कथा प्रभु श्रीराम से ही जुड़ी है. जिसके अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने माता सीता के हरण के बाद रावण से युद्ध करने के लिए सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका गए. तो लंका से पहले विशाल समुद्र को पार करना मुश्किल था. श्रीराम तब मनुष्य अवतार में थे. आम मनुष्य की तरह ही इस समस्या को सुलझाना आसान नहीं था.

जब श्रीराम ने भाई लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय पूछा तो वो श्रीराम एक मुनिवर के पास लेकर पहुंचे. श्रीराम ने मुनिवर को अपनी समस्या बताई. मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है. अगर आप समस्त सेना के साथ इस व्रत को रखेंगे तो न सिर्फ समुद्र को पार कर जाएंगे, ​बल्कि लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे. विजया एकादशी की तिथि पड़ते ही श्रीरान और सेना ने इस व्रत को किया और लंका पर विजय प्राप्त की.

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