Pradosh Vrat: 15 मार्च को हिंदू वर्ष का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें पूजा की सही विधि

Pallawi Kumari, Last updated: Fri, 11th Mar 2022, 12:50 PM IST
  • भगवान शिव की पूजा के लिए कई व्रत-त्योहारों में प्रदोष व्रत एक है. हर माह दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार 15 मार्च 2022 को पड़ रहा है. इसलिए इसे भौष प्रदोष व्रत कहा जाता है. जानते हैं प्रदोष व्रत के दिन शिवजी की पूजा के लिए विधी और शुभ मुहूर्त.
प्रदोष व्रत शिव-पार्वती पूजा (फोटो-लाइव हिन्दुस्तान)

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के दोनों पक्षों (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष) की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस बार प्रदोष व्रत फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी मंगलवार 15 मार्च 2022 को पड़ रही है. प्रदोष व्रत सप्ताह के जिस दिन पड़ता है इसे उस दिन के नाम से जाना जाता है. मंगलवार का दिन होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. क्योंकि मंगल ग्रह का ही एक अन्य नाम भौम है.

प्रदोष व्रत की पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. भौष प्रदोष व्रत विशेषकर कर्ज मुक्ति से छुकारा के लिए लाभदायी होता है. साथ ही इस व्रत को करने से समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है. आइये जानते हैं कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा और इस दिन किन नियमों का पालन करना होता है जरूरी.

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प्रदोष व्रत के दिन क्या खाएं-

वैसे तो इस दिन निर्जला व्रत रखने का विधान है. लेकिन यदि आप निर्जला व्रत रखने में असमर्थ हैं तो फलाहार भी ये व्रत किया जा सकता है. आप पूजा के बाद दूध, फल या मिठाई आदि खा सकती हैं. लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें पूजा के बाद ही कुछ खाएं, इससे पहले नहीं.

प्रदोष व्रत के दिन क्या खाएं-

इस दिन भूलकर भी लाल मिर्च, अन्न, चावल, सादा नमक, मांस और मदिरा का सेवन न करें.

प्रदोष व्रत पूजा विधि-

व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले गौरी गणेश की पूजा करें. इसके बाद भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, कनेर के फूल चढ़ाएं और पंचगव्य का भोग लगाएं. इसके बाद सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में फिर से भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करें. प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. पूजा के समय कम से कम एक माला ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें. पूजा के आखिरी में भोलेनाथ की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें.

 

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