जयपुर : वन विभाग अरावली पर्वतमाला माला पर करेगा ड्रोन से बीजारोपण
- पायलट प्रोजेक्ट के तहत नवाचार की शुरुआत करने के उद्देश्य से किया जा रहा बीजारोपण.पहले चरण में बिखेरी जाएंगे दस हजार बॉल. अरावली पर्वतमाला को हरा भरा रखने के उद्देश्य से वन विभाग ट्रायल बेस पर कर रहा तकनीक का इस्तेमाल

जयपुर। अरावली पर्वतमाला में हरियाली लाने के उद्देश्य से जल्द ही वन विभाग द्वारा ड्रोन के जरिए बीजारोपण किया जाएगा. इसके लिए विभाग द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है.
सरकार द्वारा चलाई जा रही पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह बीजारोपण किया जाएगा जिसके लिए विभाग द्वारा खाका तैयार कर लिया गया है.
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उदयपुर जिले से इसकी शुरुआत की गई है.
इस तकनीक का प्रयोग राज्य भर में किया जाएगा. वन विभाग सालाना मानसून सत्र में पौधारोपण करता है लेकिन अरावली पर्वतमाला के ऊंचे इलाकों में हर बार वन विभाग को नाकामी मिलती है.
इसके चलते वन विभाग ने ट्रायल बेस पर ड्रोन द्वारा पौधरोपण किए जाने के लिए के उद्देश्य से बीजों का छिड़काव किए जाने का फैसला लिया है.
अब ड्रोन से एरियल सीडिंग का प्रयोग किया जाएगा.
उदयपुर जिले 5 हेक्टेयर भूमि पर होगा पहला ट्रायल
उदयपुर जिले के झाड़ापीपला इलाके में 5 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया गया है. जहां ड्रोन के माध्यम से सीड बॉल्स का छिड़काव किया जाएगा.
दरअसल अरावली में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आसानी से पहुंच पाना संभव नहीं है. ऐसे में उन क्षेत्रों में जाने के लिए मानव संसाधन की बजाय तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
इसके लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी जिसमें ड्रोन के सहारे बीच के पैकेट भेजे जाएंगे.
जहां ड्रोन के सहारे ही बीजों का छिड़काव किया जाएगा. अरावली पहाड़ियों के अनुकूल ही स्थानीय पौधों के बीज डाले जाएंगे जिनमें धोक, गूगल, खैरी, रोज, ककेड़ा, बेर, चमरोड आदि प्रजातियों के बीज शामिल होंगे.
राख आदि के मिश्रण से इसे सीड बॉल्स के रूप में तैयार किया जाएगा. इसके बाद ड्रोन के जरिए इसका छिड़काव किया जाएगा.
क्या है सीड बॉल्स की खासियत
दरअसल सीड बॉल्स को एक खास तकनीक के जरिए तैयार किया जाता है. जिसमें किसी भी पौधे के बीज को राख के मिश्रण में लपेट कर उसके बाद तैयार किए जाते हैं.
जिससे यह जमीन पर पड़ते ही हल्की नमी के साथ ही उगने शुरू हो जाते हैं. सीड बॉल्स को देखभाल करने की जरूरत नहीं होती है. इनमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व शामिल होते हैं जिसके कारण यह आसानी से उग जाते हैं.
साथ ही इसे दीमक या चूहों द्वारा नष्ट नहीं किया जा सकता. बॉल को चूहे नहीं खाते हैं जिसके चलते इनके उगने की संभावना प्रबल हो जाती है.
सीड्स बॉल के जरिए ही अरावली पर्वतमाला पर हरियाली बिखेरने की योजना वन विभाग द्वारा की गई है.
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