जयपुर : REET भर्ती के नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती, सरकार ने दाखिल की कैवियट

Smart News Team, Last updated: Wed, 13th Jan 2021, 3:12 PM IST
  • करीब 31 हजार पदों पर भर्ती का मामला अब हाईकोर्ट में फंसता नजर आ रहा है. एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक बताते हुए रीट के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग याचिका में की गई है. बीएड डिग्री धारकों को रीट लेवल फर्स्ट में शामिल नहीं करने व केवल बीएसटीसी धारकों को ही शामिल करने को भी आधार बनाया गया है.
सांकेतिक फोटो

जयपुर. राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा-2021 (रीट) को लेकर राज्य सरकार के 11 जनवरी के नोटिफिकेशन और एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी गई है. इसमें एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक घोषित करने और गाइडलाइन को गलत बताते हुए उसके आधार पर रीट के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही बीएड डिग्री धारकों को रीट लेवल फर्स्ट में शामिल नहीं करने व केवल बीएसटीसी धारकों को ही शामिल करने को भी याचिका में आधार बनाया गया है. याचिका में जल्द सुनवाई किए जाने की गुहार भी लगाई गई है. 

वहीं राज्य सरकार को पहले से ही इस तरह की याचिकाएं दाखिल होने की संभावना थी. इसी वजह से सरकार ने पहले ही कैवियट दाखिल कर रखी है, ताकि एकपक्षीय तौर पर किसी तरह का फैसला नहीं हो. लुबना फातिमा की ओर से दायर इस याचिका में केंद्र व राज्य सरकार एनसीटीई के चेयरमैन व रीट-2021 समन्वयक सहित अन्य को पक्षकार बनाया है. अधिवक्ता कलिम खान और गीतेश जोशी ने बताया कि रीट 2021 के लेवल फर्स्ट में बीएड धारकों को शामिल नहीं कर उनसे कम योग्यता वाले बीएसटीसी धारकों को शामिल किया है. यह शिक्षा के अधिकार कानून के खिलाफ है, क्योंकि कानून यह कहता है कि बच्चों को उच्च स्तरीय व गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता. ऐसे में रीट लेवल फर्स्ट में बीएड व अन्य उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है. एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन असंवैधानिक घोषित की जानी चाहिए और उसके आधार पर जारी नोटिफिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए. 

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राज्य सरकार प्रथम श्रेणी के प्रथम और द्वितीय लेवल को मिलाकर करीब 31 हजार पदों पर भर्ती करने जा रही है. सरकार ने रीट का नोटिफिकेशन जारी किया है, लेकिन अब मामला हाईकोर्ट में फंसता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि बीते दिनों ही हाईकोर्ट ने कांस्टेबल के करीब साढ़े पांच हजार पदों के लिए आयोजित परीक्षा के जिलेवार परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी.

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