Yoga Day: शरीर के जरूरी है योग, करें ये आसान और प्राणायाम

जयपुर. जीवन में शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने से व्यक्ति पूरी तरह फिट रहता है. इसके लिए लोगों को योग करना चाहिए. इससे ना केवल आप शारीरिक रूप से फिट होते हैं बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहते हैं. सोमवार को पूरे देश में सातवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. ऐसे में आसन और प्राणायाम के बारे में बताएंगे जिनको करके आप पूरी तरह स्वास्थ्य रह सकते हैं.
आसान क्या है
आसान शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत, स्थिर और सुख से रख सकते हैं. आसनों के अभ्यास से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ व उपचार के लिए किया जाता है. कुछ आसान निम्न हैं.
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स्वस्तिकासन
करने का तरीका- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है. ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें. इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें.
लाभ-
1. पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है.
2. पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है. ध्यान केंद्रित करने के लिए यह बढ़िया आसन है.
गोमुखासन
करने का तरीका- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें. दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ. दायें हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मुडिए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दायें हाथ को पकड़िए. गर्दन और कमर सीधी रहे. एक ओर से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओर से इसी प्रकार करें.
लाभ-
1. अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है.
2. धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है.
3. यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है.
गोरक्षासन
करने का तरीका- दोनों पैरों की एडी और पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये. अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए. दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए होने चाहिए. हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें.
लाभ-
1. मांसपेशियों में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.
2. मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है.
3. इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है.
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन
करने का तरीका- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं. बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओर भूमि पर रखें. बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओर सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकड़ें. दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओर देखें. इसी प्रकार दूसरी ओर से इस आसन को करें.
लाभ-
1. मधुमेह और कमर दर्द में लाभकारी है.
सर्वांगासन
करने का तरीका- दोनों पैरों को धीरे- धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ कि वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए. पीठ को हाथों का सहारा दें .हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ. कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें. फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं और फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें.
लाभ-
1. थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है.
2. मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं.
3. एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं डिम्ब ग्रंथियों को सबल बनाता है.
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प्राणायाम क्या है
इसके द्वारा प्राण का प्रसार विस्तार किया जाता है और उसे नियंत्रण में भी रखा जाता है. कुछ प्राणायाम निम्न हैं.
अनुलोम-विलोम प्राणायाम
करने का तरीका- ध्यान के आसान में बैठें. बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचें. श्वास यथाशक्ति रोकने के बाद दायें स्वर से श्वास छोड़ दें. दोबारा दायीं नाशिका से श्वास खीचें. यथाशक्ति श्वास रूकने के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें.जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें. इस क्रिया को सावधानी पूर्वक करें. इसे करने में जल्दबाजी नहीं करें
लाभ-
1. शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं.
2.शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है.
3.भूख बढती है.
4.रक्त शुद्ध होता है.
कपालभाति प्राणायाम
करने का तरीका- इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है लेकिन इस प्राणायाम में श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है. श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है. कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है. इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें.
लाभ-
1. हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं.
2. कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है.
3. मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं.
4. मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है.
भ्रामरी प्राणायाम
करने का तरीका- आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें. तर्जनी को कान के अंदर डालें. दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें.
नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दें.पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी.
इस प्राणायाम को 3-5 बार करें.
लाभ-
1. वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है.
2. ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है.
3. मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है.
4. पेट के विकारों का शमन करती है.
5. उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है.
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