कानपुर: विकास दूबे व 14 के असलहा लाइसेंस बने फर्जी दस्तावेज पर, होगी कार्रवाई

Smart News Team, Last updated: Sat, 14th Nov 2020, 12:27 PM IST
  • कानपुर के बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दूबे और उसके सहयोगी व परिजनों के असलहों के लाइसेंस फर्जी पाए गए हैं. इसके लिए उस दौरान तैनात सरकारी कमर्चारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी.
विकास दूबे

कानपुर: बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत उसके परिजन व साथियों ने फर्जी दस्तावेज और जानकारी छुपाकर हथियारों के लिए लाइसेंस पास कराया था. वहीं तत्कालीन अफसरों व कर्मचारियों ने आंख बंद करके असलहा स्वीकृत कर दिए, जबकि उन पर कई केस दर्ज थे. इसी मामले में एसआईटी ने जांच करके सभी के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है. वहीं डीएम की ओर से फर्जी शपथ-पत्र देने वाले 14 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया गया है. इसके साथ ही तत्कालीन तीनों शस्त्र लिपिकों पर भी कार्रवाई की जाएगी.

जानकारी के मुताबिक हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे, जय बाजपेई समेत उनके परिजनों पर कई केस दर्ज हैं. सभी कई गैर कानूनों में शामिल थे. ऐसे में सभी ने दर्ज मामलों और असली पहचान को छुपाकर फर्जी शपथ-पत्र से असलहा लाइसेंस स्वीकृति के लिए दिए थे. दिए गए दस्तावेजों की जांच कराए बिना पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने रिपोर्ट लगाकर असलहा लाइसेंस स्वीकृत कर दिया था. बता दें  कि बिकरू कांड में पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद एसआईटी ने सभी के असलहों के लाइसेंस की जांच कराई तो शपथ-पत्र फर्जी निकले.

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कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथी जय बाजपेई ने फर्जी वोटर आईडी को आईडी प्रूफ के रूप में लगाकर 2012 व 2016 में पासपोर्ट बनवाया था. इस कारण अब उसके खिलाफ अलग से फर्जीवाड़ा करने की रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. विकास दुबे, उसके पिता रामकुमार दुबे, भाई दीपक दुबे उर्फ दीपू, बहू व प्रधान अंजलि दुबे, सहयोगी जयकांत बाजपेई, विष्णुपाल उर्फ जिलेदार, अमित उर्फ छोटे बउवा, दिनेश कुमार, रवींद्र कुमार, अखिलेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अरविंद त्रिवेदी उर्फ गुड्डन व उसकी पत्नी कंचन के खिलाफ भी फर्जीवाड़ा की जांच की जाएगी.

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अब एसआईटी ने शासन को फर्जीवाड़ा करने वाले सभी के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. जिसके बाद ये आदेश आते ही जिला प्रशासन में खलबली मच गई है. एडीएम सिटी अतुल कुमार ने बताया कि एसआईटी की संस्तुति पर सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही डीआईजी की ओर से फर्जी शपथ-पत्र देने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है. वहीं एसआईटी की संस्तुति के बाद अब 2005 में कलेक्ट्रेट में तैनात रहे सभी शस्त्र लिपिकों के खिलाफ कार्रवाई होगी. जिसमें से तत्कालीन प्रमुख दोनों शस्त्र लिपिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं.


 



 

 

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