वैक्सीनेशन को लेकर जेंडर भेदभाव, बर्ड फ्लू से बचाने में मुर्गियों को प्राथमिकता
- बर्ड फ्लू से मुर्गों और मुर्गियों को बचाने के लिए पोल्ट्री चालक उन्हें वैक्सीनेशन दे रहे हैं. यहां वैक्सीनेशन में मुर्गियों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है. मुर्गों को एक टीका तो मुर्गियों को सात टीके लगाए जाते हैं

कानपुर. बर्ड फ्लू को देखते हुए पोल्ट्री इंडस्ट्री में गजब का जेंडर भेदभाव देखने को मिल रहा है. यहां मुर्गों की तुलना में मुर्गियों पर मेहरबानी हो रही है. मुर्गियों की जिंदगी को सुरक्षित रखने के लिए सात टीके लगाए जाते हैं. वहीं मुर्गों की जिंदगी के लिए सिर्फ एक टीका लगाया जाता है. बर्ड फ्लू से अपनी फार्म को बचाने के लिए संचालकों ने 25 वैक्सीनेटर और 10 डॉक्टरों की भी एमरजेंसी सेवाएं ली हैं.
बर्ड फ्लू की खबर ने पोल्ट्री सेक्टर के लोगों को चौकन्ना कर दिया है. कोरोना के कारण पोल्ट्री पहले ही नुकसान झेल रहा था लेकिन अब बर्ड फ्लू के कारण कोई संचालक रिस्क नहीं लेना चाहता है. जिसके कारण मुर्गे या मुर्गी दोनों पर नजर रखी जा रही है. बडे़ फार्म हाउस वालों ने सीसीटीवी कैमरे तक लगवा लिए हैं. जिससे छोटी सी भी आशंका होने पर तुरंत एक्शन लिया जा सके.
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उत्तर प्रदेश पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली ने बताया कि मुर्गों की तुलना में मुर्गियों की देखभाल ज्यादा की जाती है. एक मुर्गा 30 से 35 दिन में तैयार होकर बाजार पहुंचता है. वहीं एक मुर्गी 80 हफ्ते यानि 560 दिनों तक अंडे देती है. एक मुर्गी अपने जीवन में करीब 330 अंडे देती है जो मालिकों के लिए सोने की मुर्गी से कम नहीं है.
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