कानपुरिया ठगों ने अमेरिकी बनकर अमेरिका वालों को ही ऐसे लगाया 8 करोड़ का चूना

Smart News Team, Last updated: Tue, 20th Jul 2021, 5:31 PM IST
  • कानपुर में अंतर्राष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश हुआ है और इसका मुख्य आरोपी भी गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस के अनुसार कानपुर के काकादेव में चल रहा था यह फर्जी कॉल सेंटर.
कानपुर के अंतर्राष्ट्रीय कॉल सेंटर का पर्दाफाश, पकड़ा गया आरोपी जसराज

कानपुर. उत्तर प्रदेश की क्राइम ब्रांच ने कानपुर में अंतर्राष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है. कानपुर के काकादेव में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय फर्जी कॉल सेंटर के आरोप में क्राइम ब्रांच ने मोनेन्द्र सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इस फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर में 12,000 अमेरिकी नागरिकों का डेटा हैक करके कम से कम 9 लाख डॉलर (67 करोड़ रुपये) ठगा गया है. इस गिरोह का मुख्य आरोपी जसराज भी पुलिस की हिरासत में है.

इस पूरे मामले में पुलिस कमिश्नर असीम अरुणा ने बताया कि जसराज सब हैंडल करने का काम करता था. वहीं इसके तीन साथ टेक्निकल का काम करते थे, ये तीनों फर्जी वेबसाइट बनाने और फिशिंग करने में माहिर हैं. अभी ये लोग फरार हैं और इन तीनों की तलाश की जा रही है. जसराज का काम विदेशों से आने वाले पैसे तथा वहां पर किस कम्प्यूर पर पॉप अप मैसेज के जरिए कॉल सेंटर का एड भेजना है यह तय करना था. जसराज के साथ उसका एक अमेरिका का एजेंट टेड उर्फ थोमस भी शामिल था. अमेरिकी लोगों को टारगेट कर उनसे बीते एक साल में करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं.

जसराज ने एक फर्जी कॉल सेंटर बना रखा था और यहां पर काम करने वाले लोग अमेरिकन एक्सेंट जानते थे. इस वजह से ही वह अमेरिकी लोगों से बात करके उनसे ठगी करते थे. कंट्रोल मिलेना सॉफ्टवेयर से वह सामने वाले के कम्प्यूटर पर रिमोट एक्सेस पा लेते थे और उसे ठीक करने के नाम पर उसमें मालवेयर छोड़ देते थे. जिसके कारण उस कम्प्यूटर का सारा डेटा आरोपितों तक पहुंच जाता था और जिससे वह डेबिट क्रेडिट कार्ड वह अन्य डीटेल पा जाते थे और ठगी को अंजाम देते थे.

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अमेरिकी लोग अपना पैसे अमेरिकन पेमेंट गेटवे के जरिए ही खाते में भेजते थे. इन पैसों को वह जसराज के अमेरिकी एजेंट टेड के खाते में भेजते थे और वह पैमेंट का 30 परसेंट अपने पास रखने के बाद 70 प्रतिशत पैसा जसराज को भेजता था. जसराज के पास अमेरिकन क्रेडिट कार्ड मौजूद थे जो टेड ने उसे वहां से कोरियर किए थे. इन्हीं कार्ड की बदौलत वह कानपुर में अमेरिका के खातों को संचालित कर लेता था.

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