कानपुर:आयकर विभाग का छापा, पशु आहार कंपनी के लॉकर में 1 करोड़ की ज्वैलरी मिली
कानपुर. सोमवार को कानपुर में आयकर विभाग में पशु आहार कंपनी सहित तीन कंपनियों पर छापा मारा. छापे के दौरान विभाग को बैंक लॉकर में एक करोड़ की ज्वेलरी और मिली है. विभाग को कंपनियों के संचालकों के यहां से अब तक डेढ़ करोड़ रुपए की ज्वेलरी मिल चुकी है. विभाग की इस उपलब्धि के कारण आयकर विभाग के महानिदेशक जांच नरोत्तम मिश्रा सोमवार को प्रधान निदेशक अन्वेषण कार्यालय में आए. उन्होंने पूरी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी.
आपको बता दें कि आयकर विभाग ने गत बुधवार को कामधेनू कैटल फीड प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन कंपनियों पर छापे मारे थे. छापे के दौरान विभाग को 121 करोड़ की अघोषित आय मिली थी.
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जानकारी के अनुसार आयकर अधिकारियों ने छापे के दौरान जिन साथ लॉकर्स को सील किया था उनको खोलने पर अधिकारियों को एक करोड़ की ज्वेलरी मिली है. गौरतलब है कि इससे पहले घरों में भी आयकर विभाग को 50 लाख रुपए के सोने और हीरे की ज्वेलरी मिल चुकी है. इलाहाबाद बैंक और स्टेट बैंक के लॉकरों से भी अधिकारियों को आधा दर्जन संपत्तियों के कागज भी मिले हैं. ये संपत्तियां काफी पुरानी बताई जा रही हैं. इस तरह अब तक विभाग के पास ढाई दर्जन संपत्तियों के कागज कब्जे में आ चुके हैं. विभाग खास तौर से इस बात की जांच कर रहा है कि पिछले 6 वर्ष में इनके द्वारा कितनी और कौनसी संपत्तियां खरीदी गई हैं और इन्हें खरीदने के लिए इनके पास रुपया कहां से आया है. अधिकारियों ने सभी कंपनी संचालकों से ज्वैलरी के कागजात भी मांगे है.
सीबीडीटी ने बताया था कि छापेमारी 18 नवंबर को कानपुर, गोरखपुर, नोएडा, दिल्ली और लुधियाना में 16 जगहों पर की गई थी. अब तक 52 लाख रुपए के सोने और हीरे के आभूषण जब्त किए गए हैं. बाकी गहने कहां से आए इसका भी पता लगाया जा रहा है. सीबीडीटी ने कहा कि सात लॉकरों का भी पता चला है, जिनकी जांच अभी बाकी है.
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ज्ञात हो कि आयकर विभाग की 72 घंटे की जांच में 13 बोगस कंपनियां मिलीं हैं जो दिल्ली और कोलकाता के पते पर दर्ज हैं। फॉरेंसिक टीम को मुखौटा कंपनियों से लिंक मिले हैं. दिल्ली और कोलकाता के पते पर पंजीकृत इन कंपनियों में से कुछ कंपनियों से कर्ज लेना दिखाया हुआ है और कुछ कंपनियों में शेयर होल्डिंग दिखाई गई है.
जांच के दौरान यह पाया गया कि इनमें से किसी भी कंपनी का कोई अस्तित्व नहीं है. मुनाफे को घटाकर उसे डायवर्ट किया जा रहा था. छापों की जद में आई चिट फंड कंपनी ने करोड़ों रुपए के अनसिक्योर्ड लोन प्राप्त किए. इसकी स्रोतों का भी पता लगाया जा रहा है. जांच में पाया गया कि सभी बोगस कंपनियां हैं. इन कंपनियों के सभी निदेशक डमी पाए गए. चिट फंड कंपनी ने चिट फंड एक्ट का भी उल्लंघन किया क्योंकि डमी सब्सक्राइबरों से मोटे रुपये लिए हैं.घर बनाने में भी करोड़ों रुपए खर्च किए गए जिसका कागजों में कोई उल्लेख नहीं है.
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