रेट की जगह वेट कम करके कंपनियां ग्राहकों को देती है दोतरफा नुकसान, जानिए मामला
- मल्टीनेशनल कंपनियों की तर्ज पर घरेलू कंपनियां भी रेट की जगह वेट कम करने लग गई है. 95 फीसदी ग्राहक ऐसे होते है जो सामान खरीदते समय रेट तो देख लेते है पर वेट पर ध्यान नहीं देते.

कानपुर: जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहकों को दोतरफा नुकसान हो रहा है. एक तो जीएसटी की दरें कम होने के बाद भी सामान के दाम घटाए नहीं जा रहे है, तो वही दूसरी उत्पाद की चीजों से वजन को लगातार कम किया जा रहा है. सामान खरीदते समय 95 फीसदी लोग बजन पर ध्यान नहीं देते. जिसका कंपनियां फायदा उठाती है. कपनियों का यह तरीका धोखाधड़ी और सरकारी नियमों का उल्लंघन है.
एफएमसीजी सेक्टर एनालिस्ट और सलाहकार, हेमंत गुप्ता ने बताया कि ग्राहकों की सोच, व्यवहार और उनके मस्तिष्क पर जितना अध्ययन कंपनिया करती हैं उतना शायद मेडिकल साइंस भी नहीं करता होगा. 95 फीसदी ग्राहक किसी भी चीज को खरीदते समय रेट पर तो ध्यान देते है लेकिन वजन पर कोई ध्यान नहीं देते. अगर रेट बढ़ा है तो ठोकेंगे. क्योंकि उन्हें वजन कम हो जाने की जानकारी नहीं होती. कंपनियां इसी का फायदा उठाते हैं 70 फ़ीसदी से ज्यादा कंपनियों ने रेट की बजाय वजन घटा दिया है.
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जानें क्या क्या हुआ कम
एक बड़ी डिश वाश साबुन का वजन घिसते-घिसते 145 ग्राम रह गया है. वहीं एक नारियल तेल की वजह 500 ग्राम से घटकर 455 ग्राम रह गया है. सॉस का पैकेट का वजन 100 ग्राम से घटकर 90 ग्राम हो गया है. वता दें कि उत्पाद कपनियां टैक्स घटने के बाबजूद रेट तो घटा ही नहीं रही, वल्कि सामान का वजन लगातार कम कर रही है. इस तरह ग्राहकों को दोतरफा मार का सामना करना पड़ रहा है.
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