कानपुर के झोलाछाप डॉक्टर से सावधान! बच्चेदानी की सफाई में आंत फाड़ी, 15 दिन बेहाश रही मरीज
कानपुर. कानपुर में निजी अस्पताल के झोलाछाप डॉक्टर की गलती से मरीज की जान पर बन आई. गोपाल नगर नौबस्ता का रहने वाले अंकुर ने अपनी पत्नी लक्ष्मी को बच्चेदानी की सफाई के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया. अस्पताल के झोलाछाप डॉक्टर ने महिला की बच्चेदानी की सफाई के दौरान उसकी आंत ही फाड़ दी. हालत बिगड़ी तो दूसरे निजी अस्पताल भेज दिया. आंत फटने की वजह से पाखाने का रास्ता पेट से बनाने के लिए दूसरे निजी अस्पताल ने महिला को इतना एनेस्थीसिया दिया कि उसे 15 दिन होश ही नहीं आया.
निजी अस्पताल ने महिला मरीज को मरने की हालत में हैलट रेफर कर दिया. जहां सर्जरी व एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों की कड़ी मशक्कत के बाद रोगी की जान बचाई जा सकी. गुरूवार को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया. नौबस्ता के गोपाल ने पत्नी को बच्चेदानी की सफाई के लिए पास के ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.
प्रतापपुर गांव में 55 सफाई कर्मियों के साथ पहुंचे ब्लाक अधिकारी
डॉक्टर की गलती से शरीर में फैल गया संक्रमण:
महिला को उसके पति ने इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर झोलाछाप की गलती की वजह से वह मौत के मुंह में पहुंच गई. 14 सितंबर को जब हैलट में भर्ती किया गया तो उसके पूरे जिस्म में संक्रमण फैल गया था. फेफड़े निमोनिया की वजह से सफेद पड़ गए और गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया. महिला का केस डॉ. निशांत सक्सेना ने संभाला. महिला को एनेस्थीसिया विभाग के आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया.
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि डॉक्टरों की मेहनत से रोगी की जान बच गई. डॉ. ऋतुराज सिंह, डॉ. योगेंद्र और डॉ. नेहा की टीम तत्काल रोगी के इलाज में जुट गई जिससे रोगी की जान बचाई जा सकी. रोगी 28 दिनों तक वेंटीलेटर पर रही. उसकी डायलिसिस की गई और ब्रोंकोस्कोपी से फेफड़ों से पानी निकाला गया.
अन्य खबरें
उत्तराखंड में भारी बारिश से कानपुर में बढ़ा गंगा का जलस्तर, प्रशासन अलर्ट
कानपुर: घरेलू विवाद में कलयुगी बहू ने ससुर पर मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जलाया
कानपुर के मनीष गुप्ता का केस लड़ेंगी निर्भया की वकील सीमा समृद्धि, नहीं लेंगी कोई फीस