कानपुर के झोलाछाप डॉक्टर से सावधान! बच्चेदानी की सफाई में आंत फाड़ी, 15 दिन बेहाश रही मरीज

Anurag Gupta1, Last updated: Fri, 22nd Oct 2021, 10:37 AM IST
कानपुर में झोलाछाप डॉक्टर ने बच्चेदानी की सफाई में फाड़ी आंत. आंत फटने से पाखाने का रास्ता पेट से बनाने के लिए इतना एनेस्थीसिया दिया कि उसे 15 दिन होश ही नहीं आया. हैलट अस्पताल में सर्जरी व एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों की कड़ी मशक्कत के बाद रोगी की जान बचाई गई.
झोलाछाप डॉक्टर (प्रतीकात्मक फोटो)

कानपुर. कानपुर में निजी अस्पताल के झोलाछाप डॉक्टर की गलती से मरीज की जान पर बन आई. गोपाल नगर नौबस्ता का रहने वाले अंकुर ने अपनी पत्नी लक्ष्मी को बच्चेदानी की सफाई के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया. अस्पताल के झोलाछाप डॉक्टर ने महिला की बच्चेदानी की सफाई के दौरान उसकी आंत ही फाड़ दी. हालत बिगड़ी तो दूसरे निजी अस्पताल भेज दिया. आंत फटने की वजह से पाखाने का रास्ता पेट से बनाने के लिए दूसरे निजी अस्पताल ने महिला को इतना एनेस्थीसिया दिया कि उसे 15 दिन होश ही नहीं आया.

निजी अस्पताल ने महिला मरीज को मरने की हालत में हैलट रेफर कर दिया. जहां सर्जरी व एनेस्थीसिया विभाग के विशेषज्ञों की कड़ी मशक्कत के बाद रोगी की जान बचाई जा सकी. गुरूवार को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया. नौबस्ता के गोपाल ने पत्नी को बच्चेदानी की सफाई के लिए पास के ही निजी अस्पताल में भर्ती कराया था.

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डॉक्टर की गलती से शरीर में फैल गया संक्रमण:

महिला को उसके पति ने इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर झोलाछाप की गलती की वजह से वह मौत के मुंह में पहुंच गई. 14 सितंबर को जब हैलट में भर्ती किया गया तो उसके पूरे जिस्म में संक्रमण फैल गया था. फेफड़े निमोनिया की वजह से सफेद पड़ गए और गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया. महिला का केस डॉ. निशांत सक्सेना ने संभाला. महिला को एनेस्थीसिया विभाग के आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया.

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि डॉक्टरों की मेहनत से रोगी की जान बच गई. डॉ. ऋतुराज सिंह, डॉ. योगेंद्र और डॉ. नेहा की टीम तत्काल रोगी के इलाज में जुट गई जिससे रोगी की जान बचाई जा सकी. रोगी 28 दिनों तक वेंटीलेटर पर रही. उसकी डायलिसिस की गई और ब्रोंकोस्कोपी से फेफड़ों से पानी निकाला गया.

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