कानपुर: गंगा घाटों पर पितरों को श्राद्ध और तर्पण, पितृ पक्ष शुरू

Smart News Team, Last updated: Thu, 3rd Sep 2020, 8:02 PM IST
  • गुरुवार तीन सितंबर से पितृ पक्ष की प्रतिपदा श्राद्ध पर पितरों को तर्पण किया गया. गंगा नदी पर लोग अपने पूर्वजों के श्राद्ध अर्पित करने के लिए पहुंचे.
गंगा घाट पर पितरों को श्राद्ध अर्पित करते लोग.

कानपुर. कानपुर में गंगा घाट पर गुरुवार को पितृ पक्ष की प्रतिपदा श्राद्ध पर पितरों को तर्पण किया गया. लोगों ने घरों में भी स्नान ध्यन कर पूर्वजों को याद करके तर्पण किया. इसके पीछे मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज धरती पर किसी ना किसी रूप में आते हैं. इसी मान्यता के चलते लोग गाय, कौवा और कुत्तों को खाना खिलाते हैं. गुरुवार को भी लोगों ने जानवरों को खाना खिलाया. कई लोगों ने तो झील, तालाब और गंगा नदी में आटा की बनी गोलियां मछली के लिए डाली.

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गुरुवार को लोग अश्विन मास के पहले दिन गंगा के घाटों पर श्राद्ध करने पहुंचे. समसैया घाट पर तो आसपास के गांव के लोग सुबह 10 बजे से ही पहुंचने लगे थे. श्राद्ध के सही समय मध्याह्न मान गया है इसलिए पुरोहितों ने गंगा तट किनारे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दोपहर 12 बजे से श्राद्ध पूजन कराना शुरू किया. वहीं श्राद्ध करने आए लोगों ने इस मौके पर सिर मुड़वा कर पितरों को पिंड दान किया. साथ ही माता और पिता पक्ष के पितरों को तर्पण किया. तर्पण के बाद लोगों ने पितरों को भोग लगाया और ब्राह्मणों को दान दिया.

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बिठूर, मैस्कर, भगवतदास समेत अन्य घाटों में लोग गंगा में डुबकी लगाकर तर्पण करने पहुंचे. इस मौके पर लोगों ने चीटियों को भी आटा खिलाया और घरों में पितृ पक्ष का तर्पण शुरू हो गया. ज्योतिषाचार्य पंडित देव नारायण तिवारी ने बताया कि वैदिक धर्म में पितरों को देव स्वरूप बताया गया है. इसलिए अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण क्रिया जरूर करनी चाहिए. 

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