कानपुर: अस्पताल के टॉयलेट में जन्मे बच्चे के मामले की 4 सदस्यीय टीम करेगी जांच
- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल में टॉयलेट में जन्मे बच्चे के मामले की जांच चार सदस्यीय कमेटी गठित करेगी. टीम को 1 सप्ताह के अंदर इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपना है. एलएलआर अस्पताल में एक गर्भवती महिला ने टॉयलेट में बच्चे को जन्म दे दिया था. बच्चे के जन्म लेने के बाद उसका सिर टॉयलेट के छेद में फंस गया, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई.

कानपुर: हाल ही में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर अस्पताल में एक गर्भवती महिला ने टॉयलेट में बच्चे को जन्म दे दिया था. बच्चे के जन्म लेने के बाद उसका सिर टॉयलेट के छेद में फंस गया, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई. अब इस मामले पर प्रशासन सख्त हो गया है. अब इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. जो 1 सप्ताह के अंदर इस मामले की जांच करके रिपोर्ट सौपेंगी. प्राचार्य प्रो. काला संजय की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये टीम गठित की गई है. उप प्राचार्य प्रोफेसर रिचा गिरी की अध्यक्षता में अपना काम करेगी.
बता दें कि इस घटना के बाद से कानपुर मेडिकल अस्पताल पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इधर परिजनों ने भी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है. वहीं प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला ने भी कहा कि प्रकरण में लापरवाही बरती गई है, इसलिए कंसल्टेंट जिम्मेदारी से नहीं बच सकते.
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प्राचार्य प्रो. संजय काला ने इस मामले पर कहा कि, "अभी तक की पड़ताल में पता चला है कि गर्भवती को बुधवार की शाम स्वजन पहले अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा बच्चा अस्पताल ले गए थे. उन्होंने बताया है कि वहां बुखार की बात कहते हुए उन्हें इमरजेंसी भेज दिया गया. इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने बिना गंभीरता समझे उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया. वहां की स्टाफ नर्स भी बेड खाली होने के बावजूद 30 मिनट तक उसे स्ट्रेचर पर लिटाए रही. हर स्तर पर लापरवाही की गई है, जिससे मरीज को इलाज नहीं मिला है. मरीज के आने से लेकर प्रसव और नवजात की मौत तक, किस-किस स्तर पर लापरवाही बरती गई. इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है, जो सभी पहलुओं की जांच कर रिपोर्ट देगी.
प्राचार्य प्रो. संजय काला ने कहा कि, " पता चला है पहले दिन मरीज को भर्ती नहीं किया गया. उसे एलएलआर इमरजेंसी भेज दिया गया. कंसल्टेंट और जूनियर रेजीडेंट से पता चला है कि दूसरे दिन गुरुवार यानी प्रसव के बाद भी सूचना भेजी गई, लेकिन वहां से कोई देखने नहीं आया." जिसपर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डा. नीना गुप्ता ने कहा कि," किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली थी. न ही प्रसूता के स्वजन रजिस्टर लेकर आए थे. सिर्फ एक मरीज की सूचना मिली थी, जिसे अटेंड करने जूनियर रेजीडेंट को भेजा था. मेरे स्तर से सभी मरीजों को देखा जाता है. बेहतर इलाज देने का प्रयास भी रहता है. "
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