क्राइम ब्रांच की मदद से लखनऊ पहुंची ओमान में फंसी तीन महिला, बताई प्रताड़ना की कहानी
- ओमान में फंसी तीन महिलाओं को क्राइम टीम की मदद से वापस भारत लाया गया है. कानपुर की दो और उन्नाव की एक महिला रविवार को मस्कट से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं और इन्होंने ओमान में इनके साथ हुई प्रताड़ना की पूरी कहानी बताई है.
कानपुर. ओमान में शेख के चंगुल में फंसीं तीन और महिलाओं की भारत वापसी हो गई है. ओमान में फंसी कानपुर की दो और उन्नाव की एक महिला रविवार सुबह मस्कट से लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचीं. एयरपोर्ट पर उनके परिजनों ने उन्हें रिसीव किया, ये तीनों महिलाएं परिजनों को देखकर फूट-फूट कर एयरपोर्ट पर रोने लगी. इसके साथ ही इन्होंने ओमान में हुई प्रताड़ना की कहानी बताई और कहा कि ओमान किसी नर्क से कम नहीं और यातनाओं के अलावा कुछ नहीं मिला है. नौकरी के लालच में यह महिलाएं ओमान गईं थी और फिर यहां ये महिलाएं वीजा के खेल में फंस गई थीं. इन महिलाओं को क्राइम टीम की मदद से भारत वापस लाया गया है.
ओमान से वापस लौटी कानपुर की फूल वाली गली की रहने वाली पीड़िता ने बताया कि मुज्जमिल से उसकी मुलाकात हुई थी. इसने ही 50-60 हजार की नौकरी झांसा देकर ओमान भेजा था. हालांकि उसे वर्किंग की जगह ट्यूरिस्ट वीजा पर भेजा गया जब वह वहां पहुंची तो उसे इन वीजाओं के अंतर का पता चला लेकिन तब तक इस वीजा की अवधि खत्म हो गई थी. फिर एजेंसी संचालक ने उनका वर्किंग वीजा बनवाने के साथ काम पर शेख के यहां लगा दिया. यहां पर 20-20 घंटे काम कराया जाता और तीन दिन में दो बार खाना दिया जाता था जो बासी होता था.
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इसके साथ ही कांशीराम कालोनी निवासी दूसरी पीड़िता की मुज्जमिल से मुलाकात हुई थी. यह भी ओमान में अच्छी नौकरी के झांसे में आ गई और फिर वीजा के खेल में फंस गईं. इन्होंने ओमान में झाड़ू पोंछा और सफाई का काम किया. ये महिला साल 2020 में ओमान में गई थीं और इन्हें यहां पर इतनी यातनाएं मिल रही थीं कि इनके पास आत्महत्या ही विकल्प बचा था.
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हालांकि महिलाओं ने इस मामले की जानकारी चोरी छिपे क्राइम टीम को दी और फिर ये महलिाएं वापस स्वदेश लौटीं. कानपुर-उन्नाव की अभी 20 से ज्यादा महिलाएं ओमान में फंसीं हैं. पुलिस ने इन महिलाओं को ओमान भेजने वाले मुज्जमिल और अतिकुर्ररहमान को पहले ही जेल भेज दिया है. इसके साथ ही क्राइम ब्रांच ने बंगलुरू से ऑपरेट करने वाले गिरोह के सरगना मोहम्मद अमीन को भी जेल भेजा दिया है.
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