कोरोना काल में घर पर ज़्यादा नहीं नहाए लोग,भारी घाटे में चला गया साबुन का कारोबार

कानपुर. कहा जा रहा था कि कोरोना काल में साफ-सफाई का ध्यान रखा जा रहा है. जिससे साबुन उद्योग का फायदा हो रहा है लेकिन तस्वीर इसके उलट है. बाकी उद्योगों की तरह कोरोना ने साबुन इंडस्ट्री की भी कमर तोड़ दी है. कोरोना की वजह से कानपुर में साबुन की बिक्री एक तिहाई घट गई है.
कानपुर में साबुन का सालाना लगभग 8000 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. कोरोना वायरस की वजह से साबुन की बिक्री में 30 से 40 फीसदी कमी हुई है. वहीं डिटर्जेंट पाउडर जिसकी जुलाई में बिक्री बढ़ी थी, अगस्त में कम हो गई है. कोरोना के समय में तो साफ-सफाई का ध्यान रखा जा रहा है फिर भी साबुन की बिक्री कम हो रही है. इसकी वजह लोगों का घर से कम निकलना और ऑफिस कम जाना बताया जा रहा है.
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वर्क फ्रॉम फोम के कल्चर की वजह से भी साबुन की बिक्री पर असर पड़ा है. अब लोग अपना बिजनेस घर से ही कर रहे हैं, स्कूल बंद हैं, शादियां भी बहुत कम हो रही हैं और होटल में भी लोग कम आ रहे हैं. लोगों के घर से न निकलने की वजह से कपड़े कम गंदे हो हो रहे हैं. जिसका सीधा असर साबुन इंडस्ट्री पर पड़ा है.
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साबुन इंडस्ट्री के सामने एक और मुसीबत सामने आ खड़ी हुई है. साबुन में उपयोग होने वाले तेल की कीमतों में भारी उछाल आया है. राइस फैटी आयल 45 रुपए से बढ़कर 71 रुपए और पाम फैटी तेल 37 से बढ़कर 62 रुपए किलो हो गया है. कोरोना की वजह से पेपर मिलें भी कम चल रही हैं. इन मिलों से निकलने पर सोडियम सिलिकेट साबुन में इस्तेमाल होता है मिलें न चलने के कारण सोडियम सिलिकेट नहीं मिल पा रहा है. साबुन इंडस्ट्री में पेपर पैकिंग की भी किल्लत खड़ी हो गई है. इन किल्लतों का असर साबुन इंडस्ट्री पर साफ-साफ दिख रहा है.
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