कानपुर: अंडर-15 से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक कानपुर के बेहद करीब रहे सुरेश रैना
- बल्लेबाजी और गेंदबाजी के साथ क्षेत्ररक्षण पर भी रहता था फोकस खिलाड़ियों के बीच सामंजस्य बनाकर खेलते थे रैना लक्ष्य बड़ा हो या छोटा हमेशा नेचुरल गेम खेलते थे रैना

कानपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के दो सितारों के सन्यास लेने से युवा काफी निराश हैं. उनके फैंस उनके रिटायरमेंट पर लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं.
भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी और उनके सबसे भरोसेमंद साथी सुरेश रैना ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. दिग्गज क्रिकेटरों के संन्यास लेने के फैसले ने क्रिकेट जगत में तो हलचल पैदा कर ही दी बल्कि कानपुर भी खासा निराश हुआ है.
यूपी के सुरेश रैना का ग्रीनपार्क से खासा जुड़ाव रहा है, उनके फैसले से युवा खिलाड़ी ज्यादा निराश हुए हैं. आईपीएल में कानपुर स्टेडियम ही उनका होम ग्राउंड हुआ करता था. जहां गुजरात की ओर से खेल रही टीम का होम ग्राउंड कानपुर भी माना जाता था. गुजरात टीम के कैप्टन रहे उत्तर प्रदेश के सुरेश रैना का कानपुर स्टेडियम से बेहद जुड़ाव रहा है.
अंडर -15 से ही रैना में दिख रहे थे ऑलराउंडर के लक्षण
स्टेट पैनल एंपायर रहे एपी सिंह ने बताया कि वर्ष 2000 में सुरेश रैना अंडर-15 मैच से ही अपना जलवा दिखाते आए हैं.
उन्हें कानपुर का ग्रीन पार्क मैदान खूब भाता है, यहां पर उनका प्रदर्शन ज्यादातर मैचों में सराहनीय रहा है. सुरेश रैना की बल्लेबाजी की एक खासियत है कि वह कभी भी दबाव में बल्लेबाजी नहीं करते हैं, लक्ष्य बड़ा हो या छोटा वह हमेशा नेचुरल गेम खेलकर टीम को जीत की दहलीज पर पहुंचाते रहे हैं.
एक बेहतर क्रिकेटर के रूप में दिलीप ट्रॉफी रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन अन्य खिलाड़ियों की अपेक्षा हमेशा बेहतर रहा.
कानपुर शहर के खिलाड़ी अलमास को रैना ने दिलाई पहचान
उत्तर प्रदेश रणजी टीम में 2015-16 में मध्यप्रदेश के खिलाफ मुरादाबाद में अपने पहले मैच में 127 रन बनाकर टीम की अहम कड़ी बनने वाले अलमास शौकत कहते हैं कि सुरेश रैना हमेशा युवा खिलाड़ियों में कलात्मक शैली ढूंढ़ते रहे हैं और उसी शैली में बल्लेबाजी करने के लिए प्रेरित करते हैं.
अलमास ने रैना की कप्तानी में 2017-18 में ग्रीन पार्क में पंजाब के खिलाफ 78 रन और तमिलनाडु के खिलाफ 81 रन बनाकर उत्तर प्रदेश को मजबूत किया था.
वह बताते हैं तब सुरेश रैना ने उनकी बल्लेबाजी की खूब तारीफ की थी. रणजी टीम में उत्तर प्रदेश के कप्तान रहते हुए गेंदबाजी और बल्लेबाजी के साथ उनका प्रमुख फोकस क्षेत्ररक्षण पर रहता था.
वह खिलाड़ियों को गेंदबाजी और बल्लेबाजी सत्र के बाद खुद क्षेत्ररक्षण का सत्र लगाकर अभ्यास कराते थे और बेहतर फील्डिंग के टिप्स भी देते रहे हैं.
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