सरकारी जमीन में कब्जा करने में कानपुर अव्वल, करोड़ों की जमीन इस विवाद में फंसी
- प्रदेश में आवास विकास और विकास प्राधिकरण की कई हेक्टेयर जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा है. जिसमें पूरे उत्तर प्रदेश में कानपुर नंबर वन पर है. इस वजह से कोई नई आवासीय योजनाएं भी नहीं आ रही है. करोड़ों की इन जमीन में कब्जे की वजह से आवास विकास परिषद और विकास प्राधिकरणों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

कानपुर. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार भूमाफियाओं से कब्जे की जमीन खाली करवाने के दावे करती रहती है, लेकिन उसके विभाग के ही आंकड़े उनके दावों की पोल खोल रहे हैं. प्रदेश में आवास विकास परिषद और प्राधिकरण की करीब 287.47 हेक्टेयर जमीन पर भूमाफियाओं का अवैध कब्जा है. इस मामले में पूरे प्रदेश में कानपुर अव्वल है. कानपुर में सबसे ज्यादा भूमाफियाओं का आंतक है, शहर के कई इलाकों में भूमाफियाओं ने जमीन कब्जा कर रखी है, जिस वजह से विकास और आवासीय नई योजनाएं नहीं शुरू हो पा रही हैं.
777 हेक्टेयर जमीन पर था अवैध कब्जा
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, आवास विकास परिषद और विकास प्राधिकरण की प्रदेश में कुल 777.99 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे किए गए थे. जिनमें अभियान चलाकर 490.52 हेक्टेयर जमीन खाली करा ली गई. जिसके बाद भी करीब 287.47 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है. जिसकी कीमत करीब 100 करोड़ से भी अधिक है. जिसको खाली करवाने को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
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कब्जे के मामले गाजियाबाद दूसरे और प्रयागराज तीसरे नंबर पर
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में कानपुर विकास प्राधिकरण की 87.22 हेक्टेयर, गाजियाबाद प्राधिकरण की 35.85 हेक्टेयर, प्रयागराज प्राधिकरण की 17.26 हेक्टेयर, मेरठ प्राधिकरण की 14.82 हेक्टेयर, आगरा प्राधिकरण की 12.07 हेक्टेयर, अयोध्या प्राधिकरण की 0.59 हेक्टेयर जमीन पर लोगों का कब्जा है. जिस वजह से नई आवासीय योजनाओं को लाना मुश्किल हो गया है.
जमीन खाली करवाने के लिए हो मासिक लक्ष्य तय
प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार का इस संबंध में कहना है कि जिला प्रशासन के सहयोग से अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलाने के साथ जमीन खाली करवाने का मासिक लक्ष्य तय किया जाए और उसके आधार पर मासिक जमीन खाली कराई जाएं.
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कई मामलों में अधिकारी ही जिम्मेदार
शहर में जमीन कब्जे होने में कई मामलों में अधिकारी ही जिम्मेदार हैं. कई मामलों में अधिकारी की लापरवाही की वजह से कब्जा हो जाता है तो कई मामलों में अधिकारियों की भूमाफियाओं से साठगांठ होती है. जिसका नुकसान आमजन को उठाना पड़ता है क्योंकि जमीन में कब्जे होने की वजह से सरकारी संस्थाओं के साथ आवासीय योजनाओं को शुरू करने के लिए जमीन ही नहीं मिल पा रही है.
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