कोरोना काल में कानपुर की लेदर इंडस्ट्री को भारी नुकसान! निर्यात हुआ आधा

Smart News Team, Last updated: Fri, 18th Sep 2020, 5:55 PM IST
बुधवार को चर्म निर्यात परिषद की ओर से जारी हुई रिपोर्ट ये बताती है कि कारोना ने लेदर इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है. लेदर इंडस्ट्री में पिछले साल की तुलना में 48 फीसदी की गिरावट आई है. ग्राहक निर्यातकों को ऑर्डर देने से कतरा रहे हैं.
कोरोना की वजह से लेदर इंडस्ट्री में भारी गिरावट आई है. प्रतीकात्मक तस्वीर

कानपुरः कोरोना महामारी की मार से उद्योग डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं. कोरोना ने कानपुर की लेदर इंडस्ट्री की भी कमर तोड़ दी है. लेदर इंडस्ट्री में पिछले साल के मुकाबले इस साल के निर्यात में 48 फीसदी की कमी आई है. ऐसा पहली बार हुआ है कि कानपुर की लेदर इंडस्ड्री में इतनी भारी गिरावट आई हो.

बुधवार को चर्म निर्यात परिषद की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में साफ हो गया कि कोरोना की वजह से लेदर इंडस्ड्री में गिरावट आई है. ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री की दस सबसे पावरफुल इंडस्ट्रीज में से एक लेदर इंडस्ट्री में भारी भरकम गिरावट देखी गई हो. चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय चैयरमेन जावेद इकबाल ने कहा कि चर्म निर्यात परिषद की रिपोर्ट से साफ है कि लेदर सेक्टर की हालत कितनी गंभीर है. जावेद ने कहा, अप्रैल से अगस्त के बीच निर्यात घटकर आधा रह गया है. इसका सीधा असर रोजगार और आर्थिक सेहत पर पड़ेगा.

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आपको बता दें कि पिछले साल भी लेदर इंडस्ट्री की हालत कुछ अच्छी नहीं थी. 2018 की तुलना में 2019 में निर्यात में 10 फीसदी की कमी आई थी लेकिन तब कोरोना का कहर नहीं था. कोरोना ने जितना असर डाला है उतना असर पिछले 50 साल में भी नहीं हुआ था. निर्यात की बात करें तो पिछले साल अगस्त में 428 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था. वहीं इस साल अगस्त में सिर्फ 356 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ. अगस्त 2019 की तुलना में इस बार 17 फीसदी की कमी आई है.

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इन पांच महीनों में कितनी गिरावट आई है इसका अंदाजा पिछले साल की तुलना करके लगा सकते हैं. पिछले साल अप्रैल से अगस्त के बीच पांच महीने में 2,053 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया था. इस साल अप्रैल से अगस्त में लेदर का निर्यात गिरकर 1062 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. लेदर इंडस्ट्री के आने वाले दिन भी अच्छे नहीं है क्योंकि दिसंबर से लेकर मार्च तक के एडवांस ऑर्डर न के बराबर हैं. विदेशी ग्राहकों को इस पर शक है कि यहां के निर्यातक समय पर ऑर्डर पूरा कर पाएंगे. इसीलिए वे यहां के निर्यातकों को ऑर्डर देने से कतरा रहे हैं.

 

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