मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ईशनिंदा पर की कानून बनाने की मांग, कॉमन सिविल कोड को...
- ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड ने यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. साथ ही भारत में ईश निंदा कानून बनाने की मांग की है. बोर्ड ने कहा कि लगातार मोहम्मद साहब की शान में गुस्ताखी की जा रही है जिसके लिए कानून बनाना जरूरी है.

कानपुर. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कानपुर में दो दिवसीय 27वें जलसे का रविवार को समापन हुआ. इस जलसे में समान नागरिक संहिता, महिला सुरक्षा समेत ईशनिंदा को लेकर कानून बनाने की मांग की. बोर्ड ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए सरकार को इसे न लागू करने की अपील की गई.
मौलाना राबे हसनी फिर बने अध्यक्ष
जलसे के पहले दिन मौलाना राबे हसनी नदवी को एक बार फिर से बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. साथ ही मौलाना वली रहमानी, खालिद सैफुल्ला और मौलाना कल्बे सादिक के इंतकाल के बाद खाली हुए पद पर मौलाना अरशद मदनी को नियुक्त किया गया.
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किसी भी सूरत में सरकार लागू न करे समान कानून संहिता
बोर्ड ने रविवार को समापन के मौके पर समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए कहा कि सरकार किसी भी सूरत में समान नागरिक संहिता को लागू नहीं करे.
देश में कई पथ और धर्म के लोगों समान नागरिक संहिता उपयुक्त नहीं
बोर्ड ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि देश में कई धर्म और पथ के लोग रहते हैं. ऐसे में देश में समान नागरिक संहिता कतई उपयुक्त नहीं है. यदि सरकार इस दिशा में कदम उठाती है तो ये हमारे संवैधानिक अधिकारियों का हनन होगा.
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ईशनिंदा को लेकर बनाया जाए अलग कानून
बोर्ड ने जलसे में कहा कि इस्लाम सभी धर्मों और आराध्य का आदर करता है लेकिन हाल में ही पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कई बार आपत्तिजनक टिप्पणी की गई, लेकिन सरकार ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. इसके लिए ईशनिंदा को लेकर अलग कानून बनाया जाना चाहिए. बोर्ड ने सरकार व न्यायपालिका से आग्रह किया कि धार्मिक कानूनों वे पांडुलिपियों का अपने हिसाब से व्याख्या करने से बचा जाए.
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बने प्रभावी कानून
बोर्ड ने महिला सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने और उनका क्रियान्वयन करवाया जाए.
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