अब इंटरनेट पर मिलेगा ज्यादा हिंदी कंटेंट, नोट्स बनाकर अपलोड करेंगे छात्र, IIT कानपुर में चल रही तैयारी

Swati Gautam, Last updated: Tue, 14th Sep 2021, 7:44 PM IST
  • कानपुर आईआईटी की नई रिसर्च के अनुसार बहुत जल्द विकीपीडिया और जर्नल्स हिंदी में पढ़ने का मिल सकेगा. आईआईटी के छात्रों को हिंदी में नोट्स बनाने और अपलोड करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे हिंदी के छात्रों को काफी लाभ मिलने वाला है.
अब इंटरनेट पर मिलेगा ज्यादा हिंदी कंटेंट, नोट्स बनाकर अपलोड करेंगे छात्र, IIT कानपुर में चल रही तैयारी (फाइल फोटो)

कानपुर. कानपुर आईआईटी की चल रही नई रिसर्च के अनुसार बहुत जल्द विकीपीडिया और जर्नल्स हिंदी में पढ़ने का मिल सकेगा. इसकी जनाकारी कानपुर आईआईटी के फैकल्टी कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने दी. जिसमें उन्होंने कहा कि हम लोग इंटरनेट पर जैसे विकिपीडिया, जर्नल्स आदि को हिंदी में करने की योजना बना रहे हैं. जिससे छात्रों को हिंदी में कंटेंट मिलने में काफी आसानी होगी. साथ ही उन्होंने बताया कि कंप्यूटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डॉ अर्नब भट्टाचार्य इस प्रोजेक्ट के हेड हैं वही इस योजना की रूपरेखा देख रहे हैं.

कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने यह भी बताया कि देखा जाए तो आज गूगल व इंटरनेट पर हिंदी में बहुत कम कंटेंट है. ऐसे में हिंदी के छात्रों को इस योजना से काफी मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि कानपुर आईआईटी ने गूगल से पहले देवनागरी को इंटरनेट की दुनिया में पेश किया था. उस समय डॉ. रजत मुना ने देवनागरी को लांच किया था जो कि आज वर्तमान में भिलाई आईआईटी के निदेशक हैं.

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प्रोफेसर टीवी प्रभाकर ने कहा कि हम अपने कैंपस में छात्रों को हिंदी में लिखने और नोटिस भी हिंदी में बनाने के लिए प्रेरित करते हैं. सभी छात्रों और सीनियर प्रोफेसर्स को साइंस और टेक्नोलॉजी के नोट्स और जर्नल्स को हिंदी में लिखने और इंटरनेट पर अपलोड करने के लिए लगातार मोटिवेट किया जा रहा है. इतना ही नहीं टेक्निकल राइटिंग को भी हिंदी में पेश करने की कोशिश जारी है. उन्होंने बताया कि हिंदी में आज और 200 पहले की हिंदी में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. 200 साल पहले तक अवधि बोली जाती थी. यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि बिना परिवर्तन वाली तमाम भाषाएं आज इस दुनियां से खत्म हो चुकी है.

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