घरों पर कब्जा कर पुलिस ने बनाई चौकी, बेघर मकान मालिक किराए पर रहने को मजबूर

Smart News Team, Last updated: Tue, 9th Mar 2021, 9:08 AM IST
  • पुलिस ने ही एलआईजी मकान में कब्जा कर रखा है. और पीड़ितों के कहने पर नही खाली करती है. केडीए के गंगापुर मछरिया कॉलोनी में 12 साल से पुलिस ने इस कॉलोनी में तीन घर कब जा कर लिया
KDA ने जय बाजपेई को जवाब दाखिल करने के 15 दिन का वक्त दिया है. (प्रतिकात्मक फोटो)

कानपुर: यूपी के कानपुर में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है. जहां पुलिस ने ही एलआईजी मकान में कब्जा कर रखा है. और पीड़ितों के कहने पर नही खाली करती है.केडीए के गंगापुर मछरिया कॉलोनी में 12 साल से पुलिस ने इस कॉलोनी में तीन घर कब जा कर लिया इनमें न्यू आजाद नगर पुलिस चौकी चल रही है, जिसमें चौकी, आवास, बैरक बन गया है. घरों के मालिक जब केडीए से कब्जा मांगने जाते हैं. 

तो कानपुर विकास प्राधिकरण पुलिस को एक पत्र लिख देता है चौकी पुलिस के पास जाएं तो मुस्कुरा कर देती है. अपने घर के पास में बैठक रहे तीन मकान मालिकों का सवाल है जो सरकार बदमाशों के घर जमींदोज करने की हिम्मत रखती है उसके राज्य में भी हमें अपना घर नहीं मिल रहा है, हमारे घरों पर पुलिस कब्जा करके बैठी है. हमने गाढ़ी कमाई से लाखों रुपए का यह घर खरीदा था और अब हम ही घर भटकने के लिए घूम रहे हैं.

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पिता चल बसे अब पीड़ित उत्तरेश भटक रहे हैं

इसी कॉलोनी का 765 नंबर मकान 22 जून 1990 को रामस्वरूप सिंह को आवंटित हुआ था. वह मकान के किश्ते भरते रहे किदवई नगर में किराए के मकान में रहते थे. बाद में मकान मालिक ने सभी किरायेदारों से घर खाली कराया तो उन्हें भी मकान छोड़ना पड़ा. ज्यादा किराया देने की स्थिति नहीं थे. तो परिवार फतेहपुर के गांव आलियाबाद रानी बुजुर्ग चला गया. वही रामस्वरूप चल बसे आवंटित एलआईजी भवन उनके बेटे उत्तरेश कुमार के नाम हो गया. 

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उत्तरेश एटा में एक कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है. उन्होंने किसी तरह रकम जुटाई 3 जुलाई 2019 को एलआईजी 765 की रजिस्ट्री का फ्री होल्ड करा लिया. उन्हें भी केडीए से कब्जा नहीं मिला. क्योंकि उनका घर भी पुलिस चौकी के कब्जे में है. कि डीएम को कहा तो अधिशासी अभियंता मनोज उपाध्याय का जवाब मिला कि घर पर पुलिस चौकी है, उसे हटाने के लिए एसएसपी को पत्र लिखा गया था. अब रिमाइंडर भेज रहा हूं. उत्तरेश कहते हैं, मैं पुलिस से कैसे खाली कराऊं गुहार लगाता हूं और बैरंग लौट जाता हूं.

 

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