कानपुर और लखनऊ के बीच चलेगी रैपिड ट्रेन, घंटों की दूरी मिनटों में होगी तय
कानपुर. कानपुर और लखनऊ के बीच रैपिड रेल चलाने की तैयारी चल रही है. आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को शासन की ओर से प्रमुख सचिव आवास एवं नियोजन दीपक कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रैपिड रेल ट्रांजिट परियोजना की समीक्षा की थी और संभावना तलाशने के निर्देश दिए थे.
जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव परियोजना की अध्यक्षता में शासन स्तर से एक समिति गठित की गई है जिसमें औद्योगिक विकास आयुक्त, प्रमुख सचिव आवास एवं नियोजन, कानपुर और लखनऊ के कमिश्नर, कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) के उपाध्यक्ष, लखनऊ विकास प्राधिकरण (लीडा) के अपर मुख्य कार्यपालक तथा उच्च स्तरीय विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव सदस्य शामिल हैं. कमिश्नर कानपुर डॉ. राजशेखर इसके नोडल अधिकारी हैं. कमिश्नर ने बताया कि कानपुर और लखनऊ के बीच आवागमन को बेहतर करने के लिए पूर्व में मुख्य सचिव को प्रस्ताव भेजा गया था. बाद में कई बार पत्राचार भी किया गया. इस प्रस्ताव पर ही शासन की ओर से परियोजना के अध्ययन को मंजूरी मिली है. गौरतलब है कि इसका प्रस्ताव तैयार करने में जो भी खर्च आएगा उसका 50 फीसदी यूपीसीडा, 25-25 फीसदी हिस्सा कानपुर विकास प्राधिकरण और लखनऊ विकास प्राधिकरण को उठाना होगा.
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दरअसल, 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए अखिलेश सरकार ने भी 2015 के अंत में दोनों शहरों के बीच आरआरटीएस शुरू करने का प्रस्ताव तैयार कराया था. उन्होंने इसका काफी प्रचार-प्रसार भी किया था, लेकिन यह प्रस्ताव केडीए के दफ्तर से बाहर नहीं निकल पाया. इसके बाद नई सरकार बनने के बाद भी इस परियोजना को लेकर चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन कानपुर में प्रस्तावित मेट्रो रेल परियोजना को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया था. वर्तमान में कानपुर की मेट्रो रेल परियोजना शुरू हो चुकी है इसलिए सरकार ने लखनऊ-कानपुर के बीच एक बार फिर से आरआरटीएस शुरू करने को लेकर गंभीरता से पहल शुरू की है.
मालूम हो कि कानपुर से लखनऊ के बीच प्रस्तावित रैपिड ट्रेन का ट्रैक भी अलग होगा. इसके निर्माण में 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने का अनुमान है. वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव आवास एवं नियोजन दीपक कुमार ने अफसरों से सवाल किया कि लखनऊ से कानपुर के बीच दूरी कम करने के लिए अगले चार साल में एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएगा. इस पर कमिश्नर डॉ. राजशेखर ने कहा कि अगले 20 साल या उसके बाद की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए परियोजना तैयार की गई है. यह कानपुर और लखनऊ के अलावा बीच के शहरों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी.
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आरआरटीएस के जरिये दोनों शहरों के बीच की दूरी महज 20 से 30 मिनट में पूरी हो सकेगी. उच्च स्तरीय विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि लखनऊ और कानपुर वास्तविक रूप से जुड़वां शहर के रूप में नियोजित तरीके से विकसित हो सकेंगे. इससे यूपीसीडा, लीडा और केडीए की बड़ी विकास योजनाओं का क्रियान्वयन हो पायेगा. गंगा बैराज क्षेत्र और ट्रांसगंगा सिटी तेजी से विकसित होगी. जानकारी के अनुसार इसके परियोजना के निर्माण में कम से कम तीन से चार साल का वक्त लग जायेगा.इसके साथ हो 3-4 साल का समय इसके निर्माण में भी लग जायेगा. ऐसे में रैपिड रेल कम समय में दोनों शहरों के बीच की दूरी तय करेगी. सड़कों पर वाहनों का लोड कम होगा. हादसों में भी कमी आएगी और नए उद्योग विकसित होंगे.
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