दशहरा पर कानपुर में रावण की पूजा, दीप जलाए गए, दशानन मंदिर में मना उत्सव
- कानपुर के प्रयाग शिवाला बाजार के मंदिर परिसर में सुबह से ही लोगों में दर्शन की लालसा देखने को मिली. सुबह ही मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया है. सुबह ही मंदिर की मूर्ति का गंगाजल और दूध से धोया गया और नये वस्त्र पहनाए गए.
कानपुर. रविवार को शिवाला स्थित कैलाश मंदिर परिसर में विजय दशमी के त्योहार पर दशानन मंदिर में रावण की मूर्ति को गंगा जल व दूध से स्नान कराकर पूजा अर्चना की गई. सुबह जल्द ही लंकापति रावण के दर्शन के लिए परिसर के मंदिर को खोल दिया गया. इस दौरान सरसों के तेल के दिये जलाए गए और लंकेश की आरती की गई.
बताया जा रहा है कि प्रयाग शिवाला बाजार के मंदिर परिसर में सुबह से ही लोगों में दर्शन की लालसा देखने को मिली. सुबह ही मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया है. सुबह ही मंदिर की मूर्ति का गंगाजल और दूध से धोया गया और नये वस्त्र पहनाए गए. इसके साथ ही फूलों से उनका श्रृंगार किया गया. सुबह ही वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया गया . साथ ही सरसों के तेल के दिये भी जलाए गए. रावण के दर्शण से लोग अपने जीवन में सकारात्मक उर्जा भरते हैं.
दशहरा के मौके पर कानपुर में रावण की पूजा कर दीप जलाए गए. दूध और गंगाजल से नहलाकर आरती उतार दशानन मंदिर में उत्सव मनाया गया. #Dussehra2020 #dushhera #Kanpur pic.twitter.com/t3rDCvhBg2
— Hindustan Smart (@hindustan_smart) October 25, 2020
रावण के इस मंदिर का निर्माण उन्नाव के रहने वाले गुरूप्रसाद शुक्ल ने 1868 को कराया था. वे रोज यहां मंदिर में पूजा अर्चना करने आते थे. यहां पर भगवान शिव का मंदिर था और इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य भगवान शिव के भक्त रावण को उनके साथ विराजमान करना था. दशानन मंदिर का निर्माण कराया था करवाने वाले गुरूप्रसाद शुक्ल ने इसके बाद से पूजा अर्चना शुरु किया था. ऐसा माना जाता है कि रावण का जन्म व मृत्यु एक ही दिन हुई थी. इसलिए साल में एक बार दशानन मंदिर के पट खुलते हैं.
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