कानपुर : SAF बना रही आधुनिक कार्बाइन, दो हजार का ऑर्डर मिला

Smart News Team, Last updated: Sat, 6th Feb 2021, 2:20 PM IST
  • मेक इन इंडिया कार्बाइन विदेशी कार्बाइन से न सिर्फ सस्ती होगी, बल्कि हर तरह के बुलेट प्रूफ को भेदने में सक्षम होगी। अभी सिर्फ दो हजार का ऑर्डर मिला है, लेकिन जल्द ही सीआरपीएफ 35 हजार का ऑर्डर दे सकती है। यह अब तक की सबसे अधिक गोलियां दागने वाली कार्बाइन है।
स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री में बनने वाली जेवीपीसी 5.56 कार्बाइन

कानपुर : शहर में स्थित स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री (एसएएफ) सेना के लिए जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी-5.56 गुणा 30 एमएम) बना रही है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और गृह मंत्रालय ने कड़े परीक्षण के बाद करीब दो हजार कार्बाइन का ऑर्डर दिया है।

जेवीपीसी हल्की होने के कारण पैरामिलिट्री फोर्स में आकर्षण का केंद्र है। अभी जवान पांच से आठ किलोग्राम तक के हथियार उठाकर सुरक्षा में तैनात रहते हैं। आधुनिक कार्बाइन तीन किलोग्राम से भी कम के वजन की होने के कारण जवानों के लिए बेहतर साबित होगी। एसएएफ से सीआरपीएफ ने भविष्य में 35 हजार कार्बाइन लेने की इच्छा जताई है। एसएएफ के महाप्रबंधक एके मौर्या की कड़ी निगरानी व दिशा निर्देश में इस अत्याधुनिक कार्बाइन का निर्माण चल रहा है।

चार चरणों के कड़े टेस्ट से गुजरी : जेवीपीसी का शुरुआती परीक्षण सेना ने किया। इसके बाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पुणे व स्माल आर्म्स फैक्ट्री के इंजिनियरों ने कड़ी जांच करके निर्माण को हरी झंडी दी। भविष्य में गृह मंत्रालय की सशस्त्र टुकड़ियों, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, राज्य पुलिस व भारत तिब्बत सीमा पुलिस के लिए भी इसे बनाया जाएगा।

मेक इन इंडिया कार्बाइन विदेशी हथियारों पर पड़ेगी भारी : जेवीपीसी का अनुमानित मूल्य एक लाख रुपये होगा। अधिक संख्या में बनने पर मूल्य इससे भी कम हो सकता है। विदेश में बनने वाली किसी भी कार्बाइन का दाम एक लाख से अधिक होता है। जरूरत पड़ने पर एसएएफ बड़ी आसानी के साथ एक माह में एक हजार कार्बाइन बना सकती है।

कानपुर एयरपोर्ट पर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के समर्थक आपस में ही भिड़े

ये है खासियत

- किसी भी प्रकार के बुलेट प्रूफ को भेदने में ये सक्षम है।

गोलियों की बेल्ट लगा दी जाए तो एक मिनट में यह आठ सौ गोलियां निकाल सकती है, क्योंकि इसमें ऐसा स्प्रिंग मैकेनिज्म सिस्टम लगाया गया है। वैसे, 30 राउंड मैगजीन लगाई जाती है।

- यह अभी तक की सबसे अधिक गोलियां दागने वाली कार्बाइन है।

- गैस ऑपरेटेड कार्बाइन की बैरल फायर के बाद भी काली नहीं पड़ती है।

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें