विवाह अनुदान योजना में फर्जीवाड़े का हो रहा खुलासा,जाँच में अब तक मिले 69 अपात्र

कानपुर. उत्तर प्रदेश विवाह अनुदान योजना में लेखपालों द्वारा किये गए फर्जीवाड़े की पोल अब खुल रही है. अभी तक सिर्फ पांच लोगों के ही अपात्र होने का खुलासा हुआ था लेकिन अब डीडीओ द्वारा की गई जांच में 50 में 44 लोग अपात्र मिले हैं. इसके अलावा विकास भवन से जुड़े एक अन्य अधिकारी की जांच में 50 में से 25 लाभार्थी अपात्र मिले हैं. इस प्रकार जांच कर रहे 50 अधिकारियों में से दो अधिकारियों की जांच में ही 69 लोग अपात्र पाये गए हैं. गौरतलब है कि इन सभी मामलों में कुछ लोगों के पते नहीं मिल रहे तो कुछ की तो पहले से शादी भी हो चुकी है.
आपको बता दें कि विवाह अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है. मामले का खुलासा होने पर डीएम आलोक तिवारी ने जांच के आदेश दिए थे. उन्होंने एडीएम आपूर्ति डॉ. बसंत अग्रवाल, पीडी डीआरडीए केके पांडेय सहित तीन अफसरों की जांच कमेटी गठित की थी. इसके अलावा घर- घर जाकर जांच करने के लिए 50 अन्य अधिकारियों को नियुक्त किया था. इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो योजना में फर्जीवाड़ों का खुलासा होने लगा.अभी फिलहाल डीडीओ जीपी गौतम द्वारा 50 लोगों की जांच की गई जिनमें छह लोग पात्र मिले हैं. जानकारी के अनुसार 44 अपात्रों में से 11 लोगों के ही पते मिले, बाकियों के एड्रेस अभी मालूम नहीं हुआ है.
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गौरतलब है कि ये वे आवेदनकर्ता हैं जिनके खाते में पहले ही राशि भेजी जा चुकी है. डीडीओ को एक ऐसा भी अपात्र भी मिला जिसकी बेटी की शादी पांच साल पहले हो चुकी थी, लेकिन उसे दोबारा अनुदान दिया गया. इसमें लाभार्थी की बेटी का नाम बदला हुआ था और जिस नाम से अनुदान दिया गया उस नाम से आवेदनकर्ता की कोई बेटी ही नहीं है. इसके अलावा विकास भवन के ही एक अफसर ने अपने कर्मचारियों को लगाकर घर- घर जांच कराई. इस दौरान 25 लोग अपात्र मिले. कर्मचारियों ने संबंधित अफसर को जांच रिपोर्ट भी दे दी है. अब रिपोर्ट को एडीएम आपूर्ति को भेजा जाएगा. इस प्रकार दोनों अधिकारियों की जांच में मिले 69 अपात्र लोगों के खाते में पहले ही अनुदान के 20-20 हजार रुपये की राशि भेजी जा चुकी है.
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ज्ञात हो कि विवाह अनुदान योजना के 2230 लाभार्थियों की जांच की जा रही है. अभी तक जो अपात्र लोग मिले हैं, वे सभी शहरी क्षेत्र के हैं. लेखपालों द्वारा अपात्र होने के बाद भी उन्हें पात्र बना दिया गया. उनकी ही रिपोर्ट को कानूनगो, तहसीलदार और एसडीएम ने समाज कल्याण विभाग को भेजा है. अब चूंकि इस योजना में किए गए घोटाले का खुलासा हो रहा है. ऐसे में लेखपालों के साथ ही कानूनगो, तहसीलदार और एसडीएम के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
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