कानपुर मेट्रो के काम ने पकड़ी रफतार, IIT से कल्याणपुर तक बिछाई गई पटरी

Smart News Team, Last updated: Wed, 23rd Jun 2021, 8:35 PM IST
  • कानपुर में आईआईटी से कल्याणपुर तक 1 किलोमीटर तक मेट्रो ट्रैक की पटरी बिछा दी गई है. बता दें कि 42 दिन में एक किलोमीटर तक मेट्रो ट्रैक का पूरा कर दिया गया परियोजना के अफसर इसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. मेट्रो रेल के 18-18 मीटर के सेग्मेंट को जोड़कर कई मीटर लंबी रेल तैयार की जा रही हैं.
कानपुर मेट्रो के काम ने पकड़ी रफतार

कानपुर। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कानपुर मेट्रो परियोजना की कार्य गति तेज कर दी है. आईआईटी से कल्याणपुर तक 1 किलोमीटर तक मेट्रो ट्रैक की पटरी बिछा दी गई है. अब पहले चरण में मोती झील तक 8 किलोमीटर का ट्रैक और बाकी रह गया है. इसके साथ ही मेट्रो परियोजना के इंजीनियरों ने निर्धारित समय का लक्ष्य हासिल करने की तरफ एक बार फिर से कदम बढ़ा दिया है. कहा जा रहा है कि आईआईटी से मोतीझील स्टेशन तक मेट्रो का ट्रायल 30 नवंबर से शुरू हो जाएगा जिसके बाद अगले साल शहरवासी विधानसभा चुनाव से पहले यानी जनवरी 2022 तक मेट्रो का सफर कर सकेंगे.

बता दें कि आईआईटी के पास पहला क्रॉसओवर तैयार करके मेन लाइन पर पटरी बिछाने का काम शुरू हुआ था लेकिन तब मजदूर भी कम थे. 42 दिन में एक किलोमीटर तक मेट्रो ट्रैक पूरा कर दिया गया. परियोजना के अफसर इसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. खास बात यह है कि मेट्रो रेल(लोहे की पटरियां) के 18-18 मीटर के सेग्मेंट को जोड़कर कई मीटर लंबी रेल तैयार की जा रही हैं. इसके बाद ट्रैक पर बिछाया जा रहा है. मालूम हो कि कानपुर मेट्रो परियोजना के अंतर्गत 31 दिसंबर, 2019 की रात को आईआईटी, कानपुर के पास पहला पियर बनकर तैयार हुआ था.

UP के इस शहर में हिंदू परिवार घर छोड़ने को मजबूर, बोले- धर्म बदलने का है दबाव

मेट्रो रेल और ट्रैक में अंतर जानना जरूरी है बता दें कि 'मेट्रो ट्रैक’ एक पूरा सिस्टम है और ‘रेल’ उसका सिर्फ एक हिस्सा है. रेल का मतलब सिर्फ लोहे की पटरियां हैं जबकि ट्रैक सिस्टम में रेल के साथ-साथ ट्रैक प्लिंथ, रेल शीट, रबर पैड, फास्टनर (क्लैंप) आदि कई और चीज़ें भी शामिल होती हैं. अफसरों का कहना है कि कानपुर में विभिन्न सिस्टमों के काम अब गति पकड़ रहे हैं. ट्रैक तैयार करने का काम भी तेज़ी से चल रहा है. मेट्रो की मेनलाइन पर ट्रैक बैलास्ट-लेस यानी गिट्टी रहित होगा. इस ट्रैक का मेंटनेंस न के बराबर होता है. इसका स्थायित्व और गुणवत्ता बेहतर होती है. इससे मेट्रो की यात्रा अधिक सुविधाजनक हो जाती है.

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें