आजादी की लड़ाई के दौड़ में कंपनी बाग में 200 अंग्रेज महिलाएं जिंदा हुई थी दफन

Smart News Team, Last updated: Tue, 6th Jul 2021, 1:05 AM IST
  • कंपनी बाग के नाम से भी मशहूर है कानपुर का नाना राव पार्क, 200 अंग्रेज महिलाओं को कुंए में जिदा कर दिया गया था दफन
भारत के इतिहास में मराठा क्रांतिकारी नाना राव पेशवा का बड़े ही गुमान से जिक्र किया जाता है.(Credit: Kanpur Tourism Official Site)

शहर के बीचों-बीच बसा कानपुर का नाना राव पार्क अपने अंदर इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए है. नाना राव पार्क को कंपनी बाग भी कहा जाता है. भारत के इतिहास में मराठा क्रांतिकारी नाना राव पेशवा का बड़े ही गुमान से जिक्र किया जाता है. क्योंकि, साल 1857 में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ आजादी का सबसे पहला बिगुल उन्होंने ही फूंका था. नाना राव पार्क ही वह जगह थी, जहां से नाना के सौनिकों ने जंग-ए-आजादी की लड़ाई की शुरुआत की थी. नाना राव पार्क का असली नाम तात्या टोपे मेमोरियल गार्डन है.

200 ब्रिटिश महिलाओं को स्वतंत्रता सेनानियों ने कुएं में कर दिया था दफन: एक जुलाई 1857 के दिन जब नाना राव पेशवा ने स्वतंत्रता का बुगल फूंका तो स्वतंत्रता सेनानी अपने सिर पर कफन बांधकर घर से निकले. इस दौरान उन्होंने लगभग 200 ब्रिटिश महिलाओं को नाना पार्क में बने एक कुएं में धकेल दिया. जिस इमारत में यह नरसंघार हुआ, उसे बीबीघर के नाम से जाना जाता था.

एक जुलाई 1857 के दिन जब नाना राव पेशवा ने स्वतंत्रता का बुगल फूंका तो स्वतंत्रता सेनानी अपने सिर पर कफन बांधकर घर से निकले. (Credit: Kanpur Tourism Official Site)

बीबीघर कांड से इंग्लैंड में भारी आक्रोश पैदा हो गया था. अंग्रेजों के गुस्से को शांत करने के लिए कई बार नाटक में नाना राव के पुतले को फांसी पर लटकाया गया. हालांकि, इसके बावजूद भी नाना राव कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं लगे. इसी दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने करीब 133 क्रांतिकारियों को पार्क में मौजूद बरगद के पेड़ पर फांसी से लटका दिया. हालांकि वह कुआं और बरगद का पेड़ अब तो पार्क के अंदर नहीं रहे लेकिन वहां पर निशानियां आज भी मौजूद हैं.

 

बीबीघर कांड से इंग्लैंड में भारी आक्रोश पैदा हो गया था. अंग्रेजों के गुस्से को शांत करने के लिए कई बार नाटक में नाना राव के पुतले को फांसी पर लटकाया गया. (Credit: Kanpur Tourism Official Site)

नाना राव पार्क को बनाने में भारतीयों से जबरन लिए गए थे पैसे: नाना राव पार्क को लेकर यह भी कहा जाता है कि ब्रिटिश सरकार ने इस पार्क को बनाने के लिए कानपुर के लोगों को 30,000 पौंडस का भुगतान करने के लिए मजबूर किया था. वर्तमान में इस पार्क में 1857 के संघर्ष के महान क्रांतिकारियों की मूर्तियां मौजूद हैं. अगर आप इतिहास को करीब से जानना चाहते हैं कि नाना राव पार्क जा सकते हैं.

दिल्ली से कानपुर: दिल्ली से कानपुर की दूरी करीब 495.5 किलोमीटर है. आप बस, ट्रेन या फिर अपने वाहन के जरिए यह सफर तय कर सकते हैं. सड़क मार्ग से दिल्ली से कानपुर पहुंचने में 7.35 घंटे का समय लगता है. वहीं अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो इसमें केवल 6 घंटे का समय लगेगा.

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