कानपुर: बदला मौसम तो जोखिम भरी हुई सुबह की सैर, ऐसे रहें सावधान
- वाहनों के धुएं से निकलने वाली हानिकारक गैसें व निर्माण के दौरान धूल के बारीक कण दिन के समय ऊपरी सतह पर चले जाते हैं जो कि रात में पारा गिरने पर सुबह तक ओस की बूंदों के साथ मिलकर दोबारा निचली सतह पर आ जाते हैं.
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कानपुर: सर्द हवाएं मौसम का रुख बहुत तेजी से बदल रही हैं. सुबह अचानक पड़ने लगी कड़ाके की ठंड से मौसम का बदलाव साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है. इसके अलावा इसका असर बढ़ते वायु प्रदूषण पर भी साफ तौर पर देखा जा रहा है. सुबह और रात में पड़ रही ओस भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही है.यह सब देखते हुए सुबह की सैर आपके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है. पर्यावरण व अन्य विशेषज्ञों के मुताबिक पीएम की मात्रा लगातार बढ़ रही है जो सुबह सैर पर जा रहे लोगों के लिए खतरे से कम नहीं है.
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार रविवार को पीएम-2.5 की मात्रा 368 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब दर्ज की गई, जो सामान्य मात्रा से 318 व संतोषजनक मात्रा से 218 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब ज़्यादा रही. वहीं शनिवार की अपेक्षा यह 97 माइक्रोग्राम प्रतिमीटर क्यूब ज्यादा दर्ज की गई.सुबह के वक्त प्रदूषण निचली सतह पर होने के कारण सांस के रोगियों के लिए गंभीर साबित हो सकता है. वाहनों के धुएं से निकलने वाली हानिकारक गैसें व निर्माण के दौरान धूल के बारीक कण दिन के समय ऊपरी सतह पर चले जाते हैं जो कि रात में पारा गिरने पर सुबह तक ओस की बूंदों के साथ मिलकर दोबारा निचली सतह पर आ जाते हैं.
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सुबह के वक़्त सैर के समय यह सांस के जरिए सीधे हमारे शरीर में दाखिल हो सकते हैं. डीबीएस डिग्री कॉलेज के भूगोल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर व पर्यावरणविद् डॉ. दुर्गेश चौहान बताते हैं कि वाहनों द्वारा कार्बन मोनो ऑक्साइड, बिना जले हाईड्रोकार्बन यौगिक व एल्डीहाइड जैसी गैसें वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं. ठंड बढने पर गैसें निचली सतह पर आ जाती हैं और इनका बुरा असर सिर्फ मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि अन्य जंतुओं व पेड़-पौधों पर भी पड़ता है. अगले माह से पारा और गिरने पर बुजुर्गों व बच्चों का ख्याल रखने और एहतियात बरतने की जरूरत है.
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