कानपुर शहर के फेफड़े का काम करती है मोती झील, अक्सर होती है पर्यटकों की भीड़

Smart News Team, Last updated: Sat, 10th Jul 2021, 10:04 PM IST
  • कानपुर की मोती झील, जिसे शहर का फेफड़ा भी कहा जाता है. मॉर्निंग वॉक से लेकर घूमने-फिरने तक के लिए अकसर मोती झील में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है.
कानपुर शहर के मोतीझील का इस्तेमाल ब्रिटिशकाल में पीने के पानी के लिए किया जाता था. (Credit: Kanpur Tourism Official Site)

कानपुर शहर अपने उद्योग और अपने इतिहास के लिए खूब जाना जाता है. इसके अलावा कानपुर शहर में घूमने के लिए भी कई जगहें हैं जो लोगों का खूब ध्यान आकर्षित करती हैं. इन्हीं जगहों में से एक है कानपुर की मोती झील, जिसे शहर का फेफड़ा भी कहा जाता है. मॉर्निंग वॉक से लेकर घूमने-फिरने तक के लिए अकसर मोती झील में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. इस झील को शहर का शानदार सैर-सपाटा पर्यटन तो माना ही जाता है, साथ ही इसे 'शहीद स्तंभ' के रूप में भी जाना जाता है.

बताया जाता है कि कानपुर शहर के मोतीझील का इस्तेमाल ब्रिटिशकाल में पीने के पानी के लिए किया जाता था. आज भी इस झील से कानपुर के लोगों को करीब आठ करोड़ लीटर पेयजल रोजाना उपलब्ध कराया जाता है. मोतीझील अपने गार्डन के फूलों और इसमें तैरते हुए बत्तखों के कारण पर्यटकों के मनोरंजन का केंद्र रहता है. इसके साथ ही झील के पास बने गार्डन में कुछ झूले भी लगे हुए हैं, जिससे यह बच्चों की भी पसंसीदा जगह साबित होती है. यहां आकर लोग क्रिकेट, बैडमिंटन और फुटबॉल जैसे कई खेल भी खेल सकते हैं.

 

कानपुर की यह मोती झील भले ही कृत्रिम है, लेकिन लोगों को काफी शांति प्रदान करती है. (Credit: Kanpur Tourism Official Site)

कानपुर की यह मोती झील भले ही कृत्रिम है, लेकिन लोगों को काफी शांति प्रदान करती है. झील की लंबाई जहां 600 मीटर है तो वहीं इसकी चौड़ाई करीब 105 मीटर है. इसके साथ ही झील की गहराई करीब 32 फूट है. झील के किनारे लाला लाजपत राय अस्पताल, कानपुर नगर पालिका समिति और कानपुर विकास प्राधिकरण जैसी कई इमारतें भी मौजूद हैं.

मोती झील आएं और कानपुर के जायका न चखें तो यह सफर लगभग अधूरा ही माना जाएगा. (Credit: Kanpur Tourism Official Site)

मोती झील आएं और कानपुर के जायका न चखें तो यह सफर लगभग अधूरा ही माना जाएगा. ऐसे में जब भी मोती झील आएं, यहां का चाट, बदाम कुल्फी, लुच्चि और सब्जी, बाबा की लस्सी और कबाब परांठा जैसी चीजें चखना न भूलें.

मोती झील सप्ता के सातों दिन सुबह पांच बजे से लेकर रात के नौ बजे तक खुली रहती है. खास बात तो यह है कि इसमें एंट्री करने के लिए किसी भी तरह की टिकट नहीं लेनी पड़ती है, जिससे पर्यटक झील में आसानी से सैर कर सकते हैं.

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