नवरात्रि में अष्टमी का होता है खास महत्व, सुकर्मा योग में करें दुर्गा मां के स्वरूप महागौरी की पूजा
- पावन पर्व नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवनरात्र के आठवें दिन आदिशक्ति जगदंबा की परम कृपा पाने के लिए दुर्गाष्टमी पूजा और व्रत का खास महत्व होता है. इस दिन सुकर्मा काल में महागौरी की पूजा की जाती है.

पूरे भारतवर्ष में नवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. नवरात्र के नौ दिनों में भक्तों में खूब श्रद्दा, भक्ति और हर्षोल्लास देखने को मिलता है. हिंदू पंचाग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आज यानी 13 अक्टूबर को है. नवरात्र के नौवें दिन पड़ने वाली अष्टमी व्रत व पूजा का खास महत्व होता है. इस बार चतुर्थी की क्षय तिथि होने से नवरात्रि नौ के बजाय आठ दिन की होगी.
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा- पौराणिक कथा के अनुसार महागौरी पार्वती का ही रूप हैं. कहा जाता है कि पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे उनके शरीर का रंग काला हो गया था. माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर ने उनके शरीर परर गंगाजल छिड़क कर गोरा कर दिया. इस कारण उनका नाम महागौरी पड़ा. महाष्टमी के महागौरी की पूजा व व्रत करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है औऱ विवाह में बाधा नहीं आती. आइए जानते हैं कि दुर्गा अष्टमी की तिथि, मुहूर्त, व्रत और पूजा विधि .
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सुकर्मा योग में करें दुर्गा अष्टमी की पूजा- नवरात्रि का महा अष्टमी सुकर्मा योग में है. मान्यता है कि किसी भी मांगलिक कार्यों के लिए सुकर्मा योग बेहद शुभ होते हैं. इस दिन राहुकाल दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है. ऐसे में राहुकाल का ध्यान रखते हुए अष्टमी पूजा करें. बता दें कि अष्टमी तिथि का आरंभ 12 अक्टूबर, मंगलवार रात 09:47 बजे से हो चुका है, जो 13 अक्टूबर बुधवार रात 08:07 बजे तक है.
महाष्टमी पूजा विधि- नवरात्र में अष्टमी पूजा का खास महत्व होता है. इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और सृाफ कपड़े पहनें. इसके बाद कलश स्थापना के पास मां दुर्गा या महागौरी की पूजा करें. माता को सफेद और पीले रंग का फूल चढ़ाएं. और नारियल का भोग लगाएं. पूजा के दौरान महागौरी बीज मंत्र का जाप करें और अंत में मां महागौरी की आरती करें. अगर आपने नवरात्र में पूरे नौ दिनों का व्रत रखा है तो अष्टमी में आरती जरूर करें.
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