9 महीने से खाली पड़ी कानपुर विकास प्राधिकरण की कुर्सी संभालेंगे राकेश सिंह

Smart News Team, Last updated: Mon, 17th Aug 2020, 10:41 AM IST
  • मंगलवार को कानपुर देहात के डीएम राकेश सिंह संभालेंगे के केडीए के उपाध्यक्ष की कुर्सी. डीएम डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी के पास अभी तक केडीए का अतिरिक्त कार्यभार था.
कानपुर

कानपुर- कानपुर विकास प्राधिकरण की कुर्सी पिछले 9 माह से खाली पड़ी हुई थी. रविवार को कुर्सी पर बैठने वाले की तलाश पूरी हो गई है. कानपुर विकास प्राधिकरण की कुर्सी पर बैठने के लिए राकेश सिंह की तैनाती कर दी गई है.

साढ़े नौ माह बाद कानपुर विकास प्राधिकरण को मुखिया मिला है. कानपुर विकास प्राधिकरण की कमान अब कानपुर देहात में तैनात डीएम राकेश सिंह को दी गयी है. इनकी तैनाती केडीए में नए उपाध्यक्ष के रूप में की गई है. मंगलवार से ये उपाध्यक्ष का पद संभाल लेंगे. पूर्व उपाध्यक्ष किंजल सिंह का 31 अक्टूबर 2019 को स्थानांतरण होने के बाद से यह पद खाली था. डीएम डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी के पास अभी तक इसका अतिरिक्त कार्यभार था.

आइएएस राकेश सिंह ने बातचीत में बताया कि वह मंगलवार को कार्यभार ग्रहण कर लेंगे. वर्तमान तैनाती से रिलीव होने से पहले सारे कागजात पूरे करने की प्रक्रिया कर रहे हैं जिसके चलते 2 दिनों की देरी हो रही है.

वह प्राधिकरण के मुखिया का कार्यभार लेने से पहले झांसी विकास प्राधिकरण में सचिव और आवास व शहरी नियोजन विभाग में विशेष सचिव रह चुके है. उनको प्राधिकरण में कार्य करने का अनुभव है. उनकी पहली प्राथमिकता सरकार की योजनाओं को अमली जामा पहनाना व विकास कार्यों में गुणवत्ता बनाए रखना है. उन्होंने बताया कि विकास कराने के साथ ही अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाया जाएगा. जनता की समस्याओं का हर हाल में निस्तारण कराया जाएगा.

कुर्सी संभालते ही सामने होंगी ये चुनौतियां

केडीए की कुर्सी संभालते ही राकेश सिंह के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी, जिनमें साढ़े पांच हजार खाली पड़े फ्लैटों की बिक्री, किस्ट्रल परेड और कैनाल पटरी मल्टी लेबल पार्किंग में बने आफिस और दुकानों की बिक्री, शहर में हो रहे सैकड़ों अवैध निर्माण को रोकने की चुनौती, इंदिरा नगर में बन रहे रैन वाटर हार्वेस्टिंग पार्क को चालू करने और रामलला में आधे अधूरे तालाब को पूरा कराने, नौका विहार गंगा बैराज में जल्द नौकायन शुरू करने, प्रधानमंत्री आवास योजना की लाटरी, माती योजना को लांच करना, खाली पड़ी जमीन का निस्तारण करने, विप्रा की सीमा में आने वाले कानपुर देहात और उन्नाव के गांवों में बिना लेआउट विकसित हो रहीं कालोनियों पर नियंत्रण करना आदि प्रमुख हैं.

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