रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय पढ़े ये मंत्र, ऐसी रहेगी ग्रहों ही स्थिति
- रक्षाबंधन का त्योहार करीब आ रहा है. ऐसे में हर जगह खूब रौनक और खूब तैयारियां देखने को मिल रही है. इस दिन का बहनों को बेसब्री से इंतजार होता है. एक तो भाई को राखी बांधनी होती है, और दूसरी उन्हें अच्छे- अच्छे गिफ्ट मिलते हैं.

रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक माना जाता है. इस बार रक्षाबंधन 22 अगस्त को पड़ा है. ऐसे में ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाछ चतुर्वेदी का कहना है कि ग्रह और नक्षत्रों का रक्षाबंधन के दिन बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है. क्योंकि इस दिन शोभन योग भी है घनिष्टा नक्षत्र के साथ. शुभता में शोभन योग से वृद्धि होती है. कहा जा रहा है कि 5 बजकर 31 मिनट तक पूर्णिमा तिथि का मान और 7 बजकर 38 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र है. कुंभ राशि में चंद्रमा रहने वाला है. जब भी भाई को राखी बांधे इस बात का ध्यान रखें कि उनका मुख पूरब में हो, और पश्चिम दिशा में बहन का मुख होना उत्तम माना जाता है.
सबसे पहले बहन रोली का टीका भाई को लगाएं, अक्षत लगाएं. उसके बाद घी के दीपक से आरती उतारनी चाहिए. भाई को मिठाई खिलाना चाहिए फिर कलाई पर राखी बांधनी चाहिए. ज्योतिषाचार्य चतुर्वेदी का कहना है कि राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे शुभ परिणाम मिलता है. महाभारत में भी इस रक्षा सूत्र का वर्णन किया गया है. मंत्र: ऊं येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:. तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल.
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नहीं रहेगी भद्रा, पूरे दिन बंधेगी राखी.कामेश्वर चतुर्वेदी का कहना है कि भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध में रहती है. हालांकि इस बार 21 अगस्त को ही 6 बजकर 10 मिनट पर पूर्णिमा लग जाएगी. जिससे भद्राकाल की शुरुआत उसी समय हो जाएगी. 22 अगस्त को 6 बजकर 15 मिनट तक सुबह रहेगी. ऐसे में राखी सुबह 6 बजकर 15 मिनट के बाद शाम 5 बजकर 31 मिनट तक कभी भी बांध सकते हैं.
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