IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने कर दिया कमाल, एक चौथाई रकम में बना दिया वेंटिलेटर
- आईआईटी कानपुर और संस्थान में बनी एक स्टार्टअप ने केवल 2 से 3 महीने में बढ़िया गुणवत्ता का वेंटिलेटर तैयार कर दिया गया. जहां देशी वेंटिलेटर 3 से 4 साल में बनाया जाता है, वहीं, आईआईटी कानपुर ने महामारी के बीच यह मिसाल पेश कर दी है.
कानपुर: कोरोना के संकट के बीच बीते मार्च और अप्रैल में देश में वेंटिलेटर की कमी को लेकर सबसे ज्यादा चिंता थी. जहां अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देश भी कोरोना के आगे झुक गए थे, ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश के आगे बहुत बड़ी चुनौती थी. वहीं, भारत को इस मुसीबत से उबारने का जिम्मा आईआईटी कानपुर ने उठाया. आईआईटी कानपुर और संस्थान में बनी एक स्टार्टअप ने केवल 2 से 3 महीने में बढ़िया गुणवत्ता का वेंटिलेटर तैयार कर दिया गया. जहां देशी वेंटिलेटर 3 से 4 साल में बनाया जाता है, वहीं, आईआईटी कानपुर ने महामारी के बीच यह मिसाल पेश कर दी है.
देश में जो वेंटिलेटर पहले 10-12 लाख रुपये में बिकता था, उससे अच्छा वेंटिलेटर 2.5 से 3 लाख रुपये में मौजूद था, सोने पर सुहागा यह है कि अन्य वेंटिलेटर केउलट इस वेंटिलेटर से मेडिकल स्टाफ को संक्रमण होने का खतरा भी शून्य था. आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन ऐंड इनोवेशन सेंटर के हेड ऑफस्ट्रेटेजी राहुल के अनुसार, मार्च में संस्थान के प्रफेसर और अन्य लोग इस बात के लिए परेशान थे कि कोरोना संक्रमण बढ़ने पर गंभीर मरीजों की जान कैसे बचाईजाएगी?
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देश में वेंटिलेटर की कमी दूर करने के लिए कई प्रफेसरों ने एक स्टार्टअप नोक्का रोबॉटिक्स के साथ 19 मार्च को बैठक की. इसमें तय हुआ कि न्यूनतमचिकित्सीय उपकरणों वाला एक पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाया जाए, जिसे जल्दी इंस्टाल करके किसी मरीज को इलाज दिया जा सके.
राहुल ने बताया कि अगले कुछ दिनों में इसका डिजाइन तैयार हो गया. देसी तकनीक और ज्यादातर देसी उपकरण लगाकर अप्रैल में इसे पुणे में असेंबल करने कीतैयारियां शुरू हो गईं. इस वेंटिलेटर की खास बात यह है कि इसे डॉक्टर के मोबाइल फोन से जोड़कर पल-पल की स्थिति पर मॉनिटरिंग की भी सुविधा मौजूद है.
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