बेजुबान जानवरों के दर्द को मरहम लगाने का बीड़ा उठाया युवाओं ने

Smart News Team, Last updated: Sat, 27th Mar 2021, 6:33 PM IST
  • कानपुर फॉर वायसलेस से जुड़े युवा लोगों को चोट या भूख से तड़प कर मरने वाले जानवरों के बचाव के लिए आगे आए हैं और लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. शहर के हर इलाके में इस संस्था के साथ युवा जुड़े हुए हैं और लोगों को अवेयर कर रहे हैं.
पशु अस्पताल के बाहर पड़ा कूड़ा कचरा.

कानपुर. सड़क पर बेसहारा घूमने वाले बेजुबान जानवरों को भी दर्द होता है, जब उन्हें चोट लगती है. मगर उनके चोट लगने से बहुत ही कम लोगों को उनके दर्द का एहसास होता है, क्योंकि बेजुबान बोल नहीं सकते मगर समझते सब हैं. शहर में ऐसे ही घूमने वाले बेजुबानों के दर्द को मरहम लगाने का टीम कानपुर फॉर वायसलेस से जुड़े युवाओं ने बीड़ा उठाया है.

शहर के नवीन मार्किट में अपने हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर शहर के युवा लोगों को जागरूक कर रहे हैं.  इन युवाओं को बेजुबान जानवरों के दर्द से फर्क पड़ता है. दरअसल, शहर में असहाय उन बेजुबान जानवरों को सहारा देने का बीड़ा टीम कानपुर फॉर वॉयसलेस के सदस्यों ने उठाया, जो अकसर चोट लगने या भूख से तड़प कर अपनी जान गंवा देते हैं. शहर का हर इलाके से एक ना एक युवा इस संस्था से जुड़ा हुआ है और अब ये शहर में घूम-घूम कर लोगों को बेजुबान जानवरों के प्रति जागरूकता लाने का काम कर रहे हैं.

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शहर में बेजुबान जानवरों को सहारा देने का काम इस टीम के संयोजक गौरव बाजपेयी ने करीब पांच साल पहले शुरू किया था, तब वो अकेले ही इस काम को कर रहे थे. मगर वक्त के साथ युवा इस संस्था से जुड़ते गए और इनका कारवां बढ़ता गया. गौरव ने बताया कि ये बेजुबान बोल नहीं सकते मगर जब इन्हें चोट लगती है तो दर्द इन्हें भी होता है. मगर ज्यादातर लोग असहाय बेजुबानों को सड़क पर तड़पता देख ये सोचकर छोड़ देते हैं कि ये तो जानवर है, इससे हमें क्या मतलब..!उन्होंने कहा कि बहरहाल बेजुबान जानवरों पर अमानवीय रवैया या क्रूरता की घटना को रोकने के लिए अब इस संस्था से जुड़े युवा काम कर रहे हैं. अब इनके इस उद्देश्य को शहर के नागरिक कितना समझेंगे, ये तो लोगों पर निर्भर करता है, मगर इन लोगों की लग्न देखकर बहुत से शहरवासी भी इनकी इस मुहिम के साथ जुड़ने लगे हैं.

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