कानपुर: कोरोना से लड़ाई और मरीजों को सुविधा देने में यूपी देश में अव्वल
Smart News Team, Last updated: 29/10/2020 10:38 PM IST
कानपुर. बहुचर्चित बिकरु कांड में शहीद सीईओ देवेंद्र मिश्रा का एक और वीडियो वायरल हुआ है. इसमें वह किसी जनप्रतिनिधि के करीबी से बात कर रहे हैं. करीबी खनन करने के लिए दो दिन की और मोहलत मांग रहा है. इसके साथ ही कह रहा है कि मौके पर ना आएं. वहीं दोनों बातचीत में चौबेपुर में पकड़े गए जुए में ट्रेनी आईपीएस की जांच पर भी बात करते हैं. इसके साथ ही सीओ पूर्व कप्तान की कार्रवाई पर भी सवाल उठाते हैं. आपको बता दें कि हिंदोस्तान आडियो की पुष्टि नहीं करता है. उत्तर प्रदेश ने कोरोना महमारी का हर मोर्चे से सामना किया है. अस्पताल से लेकर उपकरण तक मास्क से लेकर वेंटिलेटर तक और प्रवासी श्रमिकों से लेकर दिहाड़ी मजदूरों तक हर श्रेणी में उत्तरप्रदेश ने बेहतर काम किया है. 27 अक्टूबर को जारी रिजर्व बैंक आफ इंडिया कि स्टेट फाइनांस रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. उत्तरप्रदेश का यह प्रदर्शन तब रहा जब प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च के मामले से यूपी नीचे से दूसरे स्थान पर रहा. दीवाली के बाद कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. हैलेट के कोविड अस्पतालों में मरीजों को तत्काल ईलाज देने के लिए बेड पर ही अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की सुविधा की गई. इसके साथ ही दवाओं का डोस सही मात्रा में दने के लिए वाल्यूम मैट्रिक इन्फ्यूजन पंप का उपयोग डॉक्टर करेंगे ताकि गंभीर मरीजों को बचाया जा सके. अपर मुख्य सचिव रजनीश दूबे ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रशासन को भावी खतरे से अलर्ट किया है. कानपुर और आगरा में ब्लास्टलेस मैट्रो रेल ट्रेक बिछाया जाएगा जिसमें 530 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके लिए उत्तरप्रदेश मैट्रो रेल कार्पोरेशन ने टेंडर निकाल दिए हैं. इसके निर्माण कार्य के लिए देश-विदेश की नामचीन कंपनियों को आफर किया गया है. कानपुर में कारिडोर एक के पहले फेज में आईआईटी से मोती झील के बीच एलिवेटिड ट्रैक बनाया जा रहा है जबकि कानपुर से आईआईटी तक ट्रैक बन चुका है. खतरनाक कोरोना मिडिल क्लास माओं पर अधिक हमलावर रहा है. ऐसी माओं में ना केवल इम्युनिटी कम मिली बल्कि हीमोग्लोबिन भी आठ और नौ के पास मिला. ऐसा सीएमओ की कांटेक्ट रेसिंग टीम द्वारा बनाई गई गर्भवती महिलाओं की रिपोर्ट कह रही है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया जच्चा-बच्चा अस्पताल और डफरीन में संक्रमित गर्भवती महिलाओं का ईलाज हुआ, उनमें 85 फीसदी महिलाएं खाते-पीते घरों की थीं. डॉक्टरों ने हैरानी जताई कि आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों की महिलाएं भी इस दौरान बेहद कमजोर रहीं.
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