15 सालों में हो चुकी 1710 बैठकें, एलडीए और किसानों के बीच नहीं हुआ समझौता
- इस योजना के तहत जिला गांव की 442.855 हेक्टेयर जमीन, अल्लूनगर डिगुरिया की 324.633 हेक्टेयर जमीन, ककौली गांव की 95.673 हेक्टेयर जमीन को अधिकृत कर उसपर तकरीबन 40 हजार लोगों को आवास मुहैया कराया जाएगा. एलडीए द्वारा डीजे कोर्ट में मुआवजा जमा कराने के बावजूद किसानों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है. किसानों ने पुरानी दर कर मुआवजा लेने के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया है.

लखनऊ: एलडीए की प्रबंध नगर योजना जिसके तहत तकरीबन 40 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर मिल सकता है, वह योजना शुरू होने के 15 साल बाद और 1710 बैठकें, पंचायतें और वार्ता करने के बावजूद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. इस प्रबंध नगर योजना के संबंध में जांच पड़ताल करने पर सामने आया है कि इस योजना के विकास का कार्य रुके होने का कारण है कि मुआवजे को लेकर एलडीए और किसानों के बीच अभी तक समझौता नहीं हो पाया है. साल 2011-2012 में तत्कालीन उपाध्यक्ष राजीव अग्रवाल द्वारा चेला गांव में कई दिन तक किसानों के साथ पंचायत और वार्ता की गई लेकिन मुआवजे को लेकर कोई हल नहीं निकला. उपाध्यक्ष राजीव ने अपने कार्यकाल में किसानों के साथ कभी गांवों तक जा कर तो कभी अपने कार्यालय में 30 से भी ज्यादा बार वार्ता की है.
अब तक किसानों के साथ मुकेश कुमार मेश्राम, सत्येंद्र सिंह, पी एन सिंह, मंगला प्रसाद सिंह, शिवाकांत द्विवेदी समेत अन्य कई उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव मीटिंग कर चुके हैं. अब तक वीसी व डीएम अभिषेक प्रकाश की भी किसानों के साथ 7 बार बैठक हो चुकी है. इस संबंध में प्राधिकरण के इंजीनियरों ने कहा है कि अगर इस बार यह कार्य न शुरू हुआ तो योजना भी कभी नहीं शुरू हो पाएगी.
सेल्फी लेना पड़ा भारी, 18 साल का युवक नाले में गिरकर डूबा, अभी तक लापता
एलडीए द्वारा डीजे कोर्ट में मुआवजा जमा कराने के बावजूद किसानों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है. किसानों ने पुरानी दर कर मुआवजा लेने के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया है. किसानों ने तय किया है कि जब तक नई दरें तय नहीं की जाएंगी, वह जमीन नहीं देंगे. इसी संबंध में कुछ किसानों ने बताया कि एनडीए व प्रशासन कुछ भी कर ले, पुरानी दर पर मुआवजा नहीं लेंगे. योजना को लेकर 40 से ज्यादा केस हाई कोर्ट में चल रहे हैं.
UPSC CMS 2021: 7 जुलाई से शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया, जानें जरूरी योग्यता
जानकारी के मुताबिक इस योजना का कार्य शुरू कराने से पहले एलडीए को पर्यावरण क्लीयरेंस लेना होगा, जिसके लिए 4 वर्ष पहले भी प्रयास किया गया था. एलडीए उपाध्यक्ष ने अपने अधिकारियों को जल्द से जल्द पर्यावरण क्लीयरेंस लेने और डीपीआर तैयार करने का निर्देश जारी किया है. एलडीए के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने बताया कि प्रबंध नगर योजना का डीपीआर तैयार किया जा रहा है. पर्यावरण विभाग की मंजूरी भी लेने की कवायद चल रही है. केवल किसानों से जमीन लेने का मामला ही लटका है. किसानों से बातचीत कर मुआवजा तय होगा.
लखनऊ: एलडीए की प्रबंध नगर योजना जिसके तहत तकरीबन 40 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर मिल सकता है, वह योजना शुरू होने के 15 साल बाद और 1710 बैठकें, पंचायतें और वार्ता करने के बावजूद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. इस प्रबंध नगर योजना के संबंध में जांच पड़ताल करने पर सामने आया है कि इस योजना के विकास का कार्य रुके होने का कारण है कि मुआवजे को लेकर एलडीए और किसानों के बीच अभी तक समझौता नहीं हो पाया है. साल 2011-2012 में तत्कालीन उपाध्यक्ष राजीव अग्रवाल द्वारा चेला गांव में कई दिन तक किसानों के साथ पंचायत और वार्ता की गई लेकिन मुआवजे को लेकर कोई हल नहीं निकला. उपाध्यक्ष राजीव ने अपने कार्यकाल में किसानों के साथ कभी गांवों तक जा कर तो कभी अपने कार्यालय में 30 से भी ज्यादा बार वार्ता की है.
अब तक किसानों के साथ मुकेश कुमार मेश्राम, सत्येंद्र सिंह, पी एन सिंह, मंगला प्रसाद सिंह, शिवाकांत द्विवेदी समेत अन्य कई उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव मीटिंग कर चुके हैं. अब तक वीसी व डीएम अभिषेक प्रकाश की भी किसानों के साथ 7 बार बैठक हो चुकी है. इस संबंध में प्राधिकरण के इंजीनियरों ने कहा है कि अगर इस बार यह कार्य न शुरू हुआ तो योजना भी कभी नहीं शुरू हो पाएगी.
एलडीए द्वारा डीजे कोर्ट में मुआवजा जमा कराने के बावजूद किसानों ने अभी तक मुआवजा नहीं लिया है. किसानों ने पुरानी दर कर मुआवजा लेने के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया है. किसानों ने तय किया है कि जब तक नई दरें तय नहीं की जाएंगी, वह जमीन नहीं देंगे. इसी संबंध में कुछ किसानों ने बताया कि एनडीए व प्रशासन कुछ भी कर ले, पुरानी दर पर मुआवजा नहीं लेंगे. योजना को लेकर 40 से ज्यादा केस हाई कोर्ट में चल रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक इस योजना का कार्य शुरू कराने से पहले एलडीए को पर्यावरण क्लीयरेंस लेना होगा, जिसके लिए 4 वर्ष पहले भी प्रयास किया गया था. एलडीए उपाध्यक्ष ने अपने अधिकारियों को जल्द से जल्द पर्यावरण क्लीयरेंस लेने और डीपीआर तैयार करने का निर्देश जारी किया है. एलडीए के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह ने बताया कि प्रबंध नगर योजना का डीपीआर तैयार किया जा रहा है. पर्यावरण विभाग की मंजूरी भी लेने की कवायद चल रही है. केवल किसानों से जमीन लेने का मामला ही लटका है. किसानों से बातचीत कर मुआवजा तय होगा.
|#+|
इस योजना के तहत जिला गांव की 442.855 हेक्टेयर जमीन, अल्लूनगर डिगुरिया की 324.633 हेक्टेयर जमीन, ककौली गांव की 95.673 हेक्टेयर जमीन को अधिकृत कर उसपर तकरीबन 40 हजार लोगों को आवास मुहैया कराया जाएगा लेकिन किसान जमीन के लिए पुरानी दर पर मुआवजा लेने को तैयार नहीं हैं.
अन्य खबरें
बेरोजगारी पर मायावती बोलीं- देश में ऐसी स्थिति के लिए BJP और कांग्रेस जिम्मेदार
25 हजार इनामी शोएब गिरफ्तार, मुख्तार अंसारी एंबुलेंस पेशी मामले में था शामिल
यूपी धर्मांतरण: उमर गौतम का साथी सलाउद्दीन गुजरात से अरेस्ट, 3 जुलाई तक रिमांड
सेल्फी लेना पड़ा भारी, 18 साल का युवक नाले में गिरकर डूबा, अभी तक लापता