NMP के तहत देश के 25 हवाई अड्डों का 2025 तक होगा निजीकरण, जानें सभी के नाम

Somya Sri, Last updated: Fri, 10th Dec 2021, 2:12 PM IST
  • साल 2022 से 2025 के बीच एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 एयरपोर्ट्स को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत विकसित किया जाएगा. जबकि 13 एयरपोर्ट पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत डेवलप होंगे. नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री जनरल वीके सिंह ने लोकसभा में ये जानकारी दी.
NMP के तहत देश के 25 हवाई अड्डों का 2025 तक होगा निजीकरण, जानें सभी के नाम

लखनऊ: नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री जनरल वीके सिंह ने लोकसभा में बताया कि एयरपोर्टस अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 एयरपोर्टस का एमएनपी के तहत निजीकरण किया जाएगा. बीके सिंह ने बताया कि साल 2022 से 2025 के बीच एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 एयरपोर्ट्स को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत विकसित किया जाएगा. जबकि 13 एयरपोर्ट पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत डेवलप होंगे.

जानकारी के मुताबिक जिन 25 एयरपोर्ट चिन्हित किए गए हैं. उनमें भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयम्बटूर, नागपुर, पटना, मदुरई, सूरत, रांची, जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी शामिल है. वहीं जिन एयरपोर्ट को पीपीपी मॉडल के तहत डेवलप किया जाएगा. उनमें तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी शामिल कर लिया गया है.

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क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के अंतर्गत सरकार प्राइवेट कंपनियों के साथ प्रॉपर्टी साझा करती है या उसे किराए पर देती है. साझा करने का मतलब सरकारी और प्राइवेट कंपनियां दोनों साथ मिलकर किसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाती हैं. वहीं किराए पर देने का मतलब किसी सरकारी काम को प्राइवेट हाथों में देकर उससे किराया वसूला जाए.

क्या है पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत सरकार पूरी परियोजना को प्राइवेट कंपनी के अंदर पूरा करती है. जिससे कई सुविधाओं में इजाफा होता है. फिलहाल सरकार पीपीपी मॉडल के तहत हवाई अड्डो और रेलवे आदि का निर्माण कर रही है. हालांकि प्राइवेट कंपनी के आ जाने से लोगों के ऊपर पैसे का थोड़ा बोझ बढ़ जाता है. क्योंकि पहले के मुकाबले ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं तो शुल्क भी बढ़ जाता है.

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