लखनऊ के 289 मनरेगा मजदूर बनेंगे गार्डनर, 100 दिन की मिलेगी मजदूरी
- लखनऊ के 289 मजरेगा मजदूरों का चयन बगवानी के लिए किया गया है. मजजूरों के खेत और जमीन पर आम, नाशपाति, अमरुद और करौंदा के बाग लगाए जा रहे हैं. बागवानी के लिए मजदूरों को मनरेगा से पूरा सहयोग दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्हें पौधों का ध्यान रखने के लिए 100 दिन की मजदूरी भी दी जाएगी.

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अब मनरेगा मजदूरों को बगवान बनाया जाएगा. राजधानी के 289 चयनित मनरेगा मजजूरों के खेत और जमीन पर आम, नाशपाति, अमरुद और करौंदा के बाग लगाए जा रहे हैं. बगिया को तैयार करने के लिए इन मजदूरों को मनरेगा से पूरी मदद दी जाएगी. आगामी तीन वर्षों में इन बगियों में फल आने लगेंगे और मजदूरों को आमदनी होनी भी शुरु हो जाएगी. इन मजदूरों का चयन व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्यक्रम के तहत इस बार बागवानी के लिए किया गया है. इस योजना का उद्देश्य मजदूरों का आत्मनिर्भर बनाना है.
उपायुक्त (श्रम रोजगार) महेंद्र पांडे ने बताया कि मनरेगा से बागवानी के लिए चुने गए मजदूरों के खेत और उन पर उपलब्ध जमीन पर आम, अमरुद, नाशपाती और करौंदा के बाग लगाए जा रहे हैं. करौंदा के पौधों को खेत के बाहरी हिस्से में लगाया जाएगा, ताकि अंदर के पेड़ों की सुरक्षा हो सके. महेंद्र पांडे ने कहा कि मजदूरों को सभी पौधे अच्छे किस्म के दिए गए हैं. इसके अलावा मजदूरों को पौधों की सिंचाई, खाद, निराई, गुड़ाई का सहयोग भी मिलता रहेगा.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अब मनरेगा मजदूरों को बगवान बनाया जाएगा. राजधानी के 289 चयनित मनरेगा मजजूरों के खेत और जमीन पर आम, नाशपाति, अमरुद और करौंदा के बाग लगाए जा रहे हैं. बगिया को तैयार करने के लिए इन मजदूरों को मनरेगा से पूरी मदद दी जाएगी. आगामी तीन वर्षों में इन बगियों में फल आने लगेंगे और मजदूरों को आमदनी होनी भी शुरु हो जाएगी. इन मजदूरों का चयन व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्यक्रम के तहत इस बार बागवानी के लिए किया गया है. इस योजना का उद्देश्य मजदूरों का आत्मनिर्भर बनाना है.
उपायुक्त (श्रम रोजगार) महेंद्र पांडे ने बताया कि मनरेगा से बागवानी के लिए चुने गए मजदूरों के खेत और उन पर उपलब्ध जमीन पर आम, अमरुद, नाशपाती और करौंदा के बाग लगाए जा रहे हैं. करौंदा के पौधों को खेत के बाहरी हिस्से में लगाया जाएगा, ताकि अंदर के पेड़ों की सुरक्षा हो सके. महेंद्र पांडे ने कहा कि मजदूरों को सभी पौधे अच्छे किस्म के दिए गए हैं. इसके अलावा मजदूरों को पौधों की सिंचाई, खाद, निराई, गुड़ाई का सहयोग भी मिलता रहेगा.
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मजदूरों को पौधों की देखभाल खुद करनी होगी इसके लिए उन्हें मनरेगा से मजदूरी भी मिलेगी. उपायुक्त बताते हैं कि अपने बाग की देखभाल करने के लिए मजदूरों को साल में 100 दिनों की पूरी मजदूरी भी दी जाएगी. बागवानी के लिए एससी-एसटी परिवार, लघु एंव सीमांत किसान, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास के लाभार्थी, पट्टाधारक, परिवार की महिला मुखिया, जहां कमाने वाला कोई बालिग नहीं है, और ऋण माफी वाले मजदूरों को शामिल किया गया है.
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