सपा की तरफ से नरेंद्र वर्मा ने किया डिप्टी स्पीकर पद के लिए नामांकन, BJP पर लगाया ये आरोप

ABHINAV AZAD, Last updated: Sun, 17th Oct 2021, 1:05 PM IST
  • समाजवादी पार्टी के विधायक नरेंद्र वर्मा ने सोमवार को होने वाले विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी संसदीय परंपराओं को तोड़ने में जुटी है. उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए.
समाजवादी पार्टी के विधायक नरेंद्र वर्मा ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया.

लखनऊ. समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. रविवार को नरेंद वर्मा ने अपना नामांकन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए. नितिन छोटे भाई हैं, लेकिन वह बीजेपी में हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी बीजेपी संसदीय परंपराओं को तोड़ने में जुटी है. सत्ता पक्ष हर रोज नई परंपरा बना रहा है. नामांकन के दौरान नरेंद्र वर्मा के साथ बीएसपी के 6 बागी विधायक भी थे. दरअसल, समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि बीजेपी के विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे.

बताते चलें कि नरेंद्र वर्मा सीतापुर जिले की महमूदाबाद विधानसभा सीट से छह बार विधायक रहे हैं. इस बार पार्टी ने विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. इस पद के लिए सोमवार को चुनाव होने हैं. चूंकि, अब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं इसलिए इस पद के लिए चुनाव होंगे. लेकिन संख्या बल को देखते हुए बीजेपी उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है. सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, परंपरागत रूप से, सीट प्रमुख विपक्षी दल के पास जाती है, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने अपना उम्मीदवार उतारकर सभी परंपराओं को हवा में उड़ा दिया है.

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जानकार बताते हैं कि सपा के लिए वर्मा का नामांकन एक रणनीतिक कदम है. नरेंद्र वर्मा कुर्मी हैं, सपा यह दिखाना चाहती है कि वह ओबीसी श्रेणी में यादवों के अलावा अन्य जातियो पर भी ध्यान देगी. बताते चलें कि नरेंद्र वर्मा सीतापुर जिले की महमूदाबाद विधानसभा सीट से छह बार विधायक रहे हैं. सोमवार को होने वाले चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. शनिवार को नरेंद्र वर्मा ने अपना नामांकन किया. इस दौरान उन्होंने सत्ताधारी बीजेपी पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए. सत्ताधारी बीजेपी संसदीय परंपराओं को तोड़ने में जुटी है. सत्ता पक्ष हर रोज नई परंपरा बना रहा है.

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