धर्म परिवर्तन पर HC का आदेश, लिव इन या शादी करके साथ रहना बालिगों का अधिकार

Smart News Team, Last updated: Sun, 13th Jun 2021, 9:52 AM IST
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा की दो बालिग स्त्री-पुरुष अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं चाहे वे किसी भी जाति या धर्म को मानने वाले हों या फिर अगर वो बिना शादी के साथ रह सकते हैं इसके लिए उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उस जिले की पुलिस की है,
धर्म परिवर्तन पर HC का आदेश, लिव इन या शादी करके साथ रहना बालिगों का अधिकार (फाइल फ़ोटो)

लखनऊ: चरमपंथी धड़ों के लिए हॉट टॉपिक रहने वाला मुद्दा, अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाह या फिर बिना विवाह किए युगल को एक साथ रहने से आपत्ति होने वालों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय का एक फैसला तमाचा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया की अगर कोई युगल अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाह या फिर बिना विवाह किए साथ रहते हैं तो ऐसे युगल को सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस व प्रशासन की बाध्यता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय एक याची के याचिका पर सुनवाई करते हुऐ एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया की धर्म परिवर्तन करके शादी करने वाले बालिगों को सुरक्षा प्रदान करने में धर्मांतरण महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है. यदि धर्मांतरण जबरन कराने का आरोप नहीं है तो ऐसे युगल को सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस व प्रशासन की बाध्यता है. कोर्ट ने कहा कि यद‌ि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं या नहीं भी की, तब भी उन्हें साथ रहने का अधिकार है. भले ही उनके पास विवाह का प्रमाण नहीं है. पुलिस अधिकारी को प्रमाण के लिए ऐसे युगल को बाध्य नहीं करना चाहिए.

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दरअसल ये पूरा ममला कुछ ऐसा है की एक 20 वर्षीय याची ने धर्म परिवर्तन के बाद 40 वर्षीय अधेड़ व्यक्ति से 11 फरवरी 2021 को शादी की. उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर परिवार वालों पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाते हुए कोर्ट की सारण में गई, इसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति स्पष्ट है. दो बालिग स्त्री-पुरुष अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं चाहे वे किसी भी जाति या धर्म को मानने वाले हों. सुप्रीम कोर्ट ने लता सिंह केस में स्पष्ट निर्देश दिया है कि अपनी मर्जी से अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाह करने वाले बालिगों को किसी भी तरह परेशान न किया जाए, न ही धमकाया जाए. उनके साथ कोई हिंसक कृत्य न किया जाए. साथ ही ऐसा करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है.

कोर्ट ने अपनी सुवाई की दौरान कहा कि अगर याची के जीवन और स्वतंत्रता को वास्तव में खतरा है तो वह संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस पुलिस अधीक्षक से शिकायत करें और पुलिस उन्हें सुरक्षा दे. सुरक्षा देने वाले पुलिस अधिकारी याचियों को विवाह का प्रमाण दिखाने के लिए बाध्य न करें.

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