POCSO Act में बच्चों के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन मामला नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट की धारा 6 और धारा 10 के तहत ओरल सेक्स को गंभीर यौन अपराध नहीं माना है. जबकि कोर्ट ने इस प्रकार के अपराध को पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है. ओरल सेक्स के एक मामले की सुनवाई करने के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने झांसी निचली कोर्ट द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया है.
लखनऊ: बच्चों के साथ ओरल सेक्स गंभीर अपराध नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये चौंकाने वाला फैसला एक सुनवाई के दौरान दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट की धारा 6 और धारा 10 के तहत ओरल सेक्स को गंभीर यौन अपराध नहीं माना है. जबकि कोर्ट ने इस प्रकार के अपराध को पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा कि यह कृत्य एक्रीटेड पेनिट्रेटिव सेक्सुअल एसॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है. इस मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोषी की सजा 10 साल से घटाकर 7 साल कर दी है. कोर्ट ने अपराधी पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने यह फैसला सुनाया है.
क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2016 में एक शिकायतकर्ता ने एक शख्स सोनू कुशवाहा पर आरोप लगाया था कि वह उसके घर आया और उसके 10 साल के बेटे को अपने साथ लेकर चला गया. शिकायतकर्ता के मुताबिक सोनू कुशवाहा ने उसके बेटे को 20 रुपये देकर उसके साथ ओरल सेक्स किया. इस मामले में साल 2018 में झांसी की एक निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 377 और धारा 506 और पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत सोनू कुशवाहा को दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट का क्या है फैसला?
बता दें कि सोनू कुशवाहा ने झांसी की निचली अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की. जिस पर जस्टिस अनिल कुमार ओझा की एकल पीठ ने सोनू कुशवाहा की सजा को कम करते हुए 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया. जस्टिस अनिल कुमार ओझा ने इस मामले पर कहा कि बच्चों के साथ ओरल सेक्स गंभीर यौन हमला नहीं है. कोर्ट के मुताबिक इस मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट धारा 6 के तहत नहीं बल्कि धारा 4 के तहत होनी चाहिए.
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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बच्चे के मुंह में लिंग डालना पेनिट्रेटिव यौन हमले की श्रेणी में नहीं आता है. इसलिए पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत यह मामला दंडनीय है जबकि अधिनियम धारा 6 के तहत नहीं है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने झांसी निचली कोर्ट द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया है.
यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है। लिहाजा ऐसे मामले में पोक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती: इलाहाबाद उच्च न्यायालय https://t.co/J7Adyv2jKf
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 24, 2021
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