यूपी की नई आबकारी नीति को मंजूरी, पुरानी दुकानों का लाइसेंस होगा रिन्यू

Smart News Team, Last updated: Sat, 9th Jan 2021, 4:43 PM IST
  • प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति के तहत इस वर्ष आबकारी विभाग से 34,500 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही पुरानी दुकानों का ही लाइसेंस रिन्यू होगा।  सरकार शराब उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिफल शुल्क नहीं लेगी।
फाइल फोटो

लखनऊ : प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। इसमें प्रदेश में पहली बार अनाज (चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का) से देशी शराब बनाने की अनुमति दी गई है। नए सत्र में शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस फीस में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। पिछले साल की तरह इस साल भी लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा। कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए दुकानों के नवीनीकरण में रियायत भी दी जाएगी। दुकानों के नवीनीकरण के बाद जो दुकानें बचेंगी उनका आवंटन लॉटरी से होगा।

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नई नीति में प्रदेश में शराब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में उत्पादित फल से प्रदेश में निर्मित शराब आगामी पांच साल के लिए प्रतिफल शुल्क से मुक्त रखने का फैसला किया है। साथ ही अब अपने घर में सीमा से अधिक शराब रखने के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा। सरकार ने आबकारी विभाग से 34,500 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। जिसके तहत प्रदेश में शराब उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया है। नीति का मकसद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व गुड गवर्नेंस को बढ़ावा देना है।

वर्ष 2021-22 में आबकारी विभाग की समस्त प्रक्रियाओं को कम्प्यूटराज्ड कर इंटीग्रेटेड सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम (IESCMS) लागू होगा। फुटकर दुकानों में पीओएस मशीन से बिक्री करने की व्यवस्था होगी।  नीति के तहत 90 एमएल की बोतलों में विदेशी शराब की बिक्री रेगुलर श्रेणी में अनुमन्य होगी।

कम तीव्रता के मादक पेय (एल.ए.बी.) की बिक्री बीयर की दुकानों के अतिरिक्त विदेशी शराब फुटकर दुकानों, मॉडल शाप और प्रीमियम रिटेल वेंड में अनुमन्य होगी। बीयर की एमआरपी पड़ोसी राज्यों से अधिक होने और कोविड के कारण बीयर की खपत पर प्रभाव को देखते हुए बीयर पर प्रतिफल शुल्क को कम किया गया है। बीयर की शेल्फ लाइफ नौ महीने की होगी।

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