अयोध्या राम मंदिर में लगेंगे 34 टन तांबे की पत्तियां, भूकंप के झटकों से बचाएंगी

Somya Sri, Last updated: Wed, 27th Oct 2021, 12:00 PM IST
  • राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला के राम मंदिर में 34 टन तांबे की पत्तियां लगाई जाएंगी. इस संबंध में मन्दिर निर्माण की कार्यदाई संस्था एल एंड टी की टीम झारखंड के सिंहभूम के मऊ भंडार आईसीसी कारखाने से तांबे का सैंपल लेकर आई है. सैंपल के परीक्षण के बाद ही तांबे का आर्डर दिया जाएगा. तांबे की पत्तियां का प्रयोग पत्थरों के जोड़ में किया जाएगा. जिससे भूकंप के दौरान पत्थर नहीं हिलेंगे.
अयोध्या राम मंदिर (फाइल फोटो)

लखनऊ: राम जन्मभूमि में विराजमान रामलला के राम मंदिर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है. इस दौरान खबर है कि राम मंदिर में 34 टन तांबे की पत्तियां लगाई जाएंगी. गुलाबी पत्थरों के बीच इन पत्तियों को लगाया जाएगा. जानकारों का कहना है कि राम मंदिर में भूकंप के झटके महसूस नहीं होंगे. ये तांबे की पत्तियां पत्थरों को हिलने से रोकेंगी. इस संबंध में मन्दिर निर्माण की कार्यदाई संस्था एल एंड टी की टीम तांबे के सैंपल ले रही है. सैम्पल के परीक्षण के बाद ही ऑर्डर दिया जाएगा.

बता दें कि अबतक संस्था एल एंड टी की टीम झारखंड के सिंहभूम के मऊ भंडार आईसीसी कारखाने से तांबे का सैंपल लेकर आई है. बताया जा रहा है कि साल 1929 से ही इसका कारखाने से तांबे उत्पादित किए जाते हैं. कहा जाता है कि इन तांबे से देश की अधिकांश जरूरतें पूरी होती हैं. इस कारखाना को धरती पर तांबे की जननी भी कहा जाता है. सैंपल के परीक्षण के बाद ही तांबे का आर्डर दिया जाएगा. तांबे की पत्तियां का प्रयोग पत्थरों के जोड़ में किया जाएगा. जिससे भूकंप के दौरान पत्थर नहीं हिलेंगे.

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कैसा होगा राम मंदिर?

जानकारी के मुताबिक राम मंदिर गुलाबी पत्थर से बनाया जाएगा. बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से राम मंदिर का निर्माण होगा. जिसकी मंजिल की उंचाई 20 फुट होगी. इसके अलावा मंदिर की लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट रखी जाएगी. भूतल से मंदिर का फर्श 16.5 फीट ऊंचा होगा. जबकि गर्भ गृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट रखी जायेगी. गौरतलब है कि परीक्षण के दौरान जमीन के नीचे 200 फीट तक बलुआ मिट्टी पाई गई है.

मंदिर को इस तरह से बनाया जाएगा ताकि भौगोलिक परिस्थिति में हजारों वर्ष के आयु वाले पत्थरों के मंदिर का भार,सहन कर सके. इसकी मजबूती और टिकाऊ नींव के साथ ही ड्राइंग पर आईआईटी मुंबई,दिल्ली,और आईआईटी गुवाहाटी,साथ ही केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन टूब्रो व टाटा के इंजीनियर्स काम कर रहे हैं. ताकि मंदिर को सुंदर और मजबूत बनाया जा सके.

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