6 दिसंबर की घटना इतिहास में दर्ज हो गई- शिवप्रकाश

Atul Gupta, Last updated: Mon, 6th Dec 2021, 4:48 PM IST
  • हिंदू समाज के मन में लंबे समय से यह पीड़ा थी कि उनके आराध्य देव के जन्मस्थान पर भगवान श्री राम की महिमा के अनुरूप मंदिर नहीं है. इसी पीड़ा के परिमार्जन के लिए सैकड़ों वर्षो से श्री राम जन्म भूमि की मुक्ति का संघर्ष चल रहा था.
भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश (फाइल फोटो)

लखनऊ: छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में एकत्रित रामभक्त कारसेवकों ने गुलामी के प्रतीक बाबरी ढांचे का ध्वंस कर दिया. यह ऐतिहासिक घटना भारत सहित समूचे विश्व को आश्चर्यचकित करने वाली थी. यह घटना अब इतिहास में भी दर्ज हो गई. यह कहना है भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश का.

छह दिसंबर की घटना का जिक्र करते हुए शिवप्रकाश कहते हैं कि दुनिया के जिन-जिन देशों में आक्रमणकारी शक्तियों ने वहां की संस्कृति एवं पहचान को मिटाने का प्रयास किया. समाज की जागृति के परिणामस्वरूप वहां भी इस स्व का जागरण हुआ है. इतिहास की अनेक घटनाएं हमको इसका स्मरण कराती हैं. ब्रिटिश साम्राज्य वादियों ने श्रीलंका का नाम सीलोन कर दिया था. श्रीलंका की सरकार ने 1972 में उस नाम को बदलकर पुनः श्रीलंका कर दिया.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी को विभाजित कर दो भाग पश्चिमी एवं पूर्वी जर्मनी बना दिया था. बर्लिन में एक बड़ी दीवार खड़ी कर दी गयी. 9 नवंबर 1989 में वहां की जनता ने उसको गिरा दिया. जर्मनी पुनः एक हो गया. 15वीं शताब्दी में रानी इसाबेला एवं ओ राजा फर्डिनेंड के नेतृत्व में स्पेन के सामान्य खंडित चर्चों का पुनर्निर्माण एवं आक्रान्ताओं द्वारा खंडित अवशेष से मुक्ति भी इसी स्व के जागरण का उदाहरण है. शिवप्रकाश के मुताबिक हिंदू समाज के मन में लंबे समय से यह पीड़ा थी कि उनके आराध्य देव के जन्मस्थान पर भगवान श्री राम की महिमा के अनुरूप मंदिर नहीं है. इसी पीड़ा के परिमार्जन के लिए सैकड़ों वर्षो से श्री राम जन्म भूमि की मुक्ति का संघर्ष चल रहा था. देश भर के सभी आस्थाओं से जुड़े संत समाज, राजा-महाराजाओं सहित सामान्य राम भक्त जनता की आहुति से यह यज्ञ पूर्ण हुआ. विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में चलने वाले इस आंदोलन की व्यापकता से संपूर्ण देश परिचित ही है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद यह मुद्दा अपने निर्णायक पड़ाव पर पहुंचा. अब वहां भगवान श्री राम की महिमा के अनुरूप भव्य श्री राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसका शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अनेक संतों एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में हुआ.

शिवप्रकाश कहते हैं कि हमारे देश पर 327 ई० पू० सिकंदर का आक्रमण हुआ. उसके पश्चात अनेक बर्बर जातियां आक्रमणकारी के रूप में आयी. जिनके यूनानी, तुर्क, डच, फ्रेंच, शक, हुण, कुषाण, पुर्तगाली, मंगोल और अंत में अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से व्यापार करने आए और समाज की कमजोरी के कारण यहां के शासक बन गए. अपने साम्राज्य को स्थापित करने के लिए इन सभी शक्तियों ने हिंसा एवं लूट का सहारा लिया. साथ ही इन सभी शक्तियों ने भारत के स्वाभिमान एवं आस्थाओं को कुचलने का कार्य किया. देशभर में विखंडित असंख्य आस्था के प्रतीक इन प्रसंगों की याद दिलाते हैं. लगातार संघर्ष, कभी जय-कभी पराजय का दुष्परिणाम हुआ कि समाज अपना स्वाभिमान खोता गया. हिंदू समाज को उसके अतीत के गौरव को भुलाने के लिए बौद्धिक जगत में सुनियोजित षड़यंत्र भी हुए. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद स्वाभिमान जागरण का जो कार्य होना चाहिए था उसके स्थान पर गुलामी की मानसिकता से युक्त इतिहास शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को पढ़ाया जाता रहा. मार्क्स एवं मैकाले पुत्रों का भारतीय समाज को भारतीयता से काटने का यह एक सुनियोजित षड्यंत्र था.

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